श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा चंबा से मणिमहेश छड़ी यात्रा विधिवत रूप से रवाना हुई। जिला प्रशासन की तरफ से एडीएम व एसडीएम चंबा ने मौजूद दर्ज करवाई। बैंड बाजों के साथ साधु संतों की अगुवाई में यह छड़ी अपने पहले पड़ाव पर पहुंची।
चंबा, ( विनोद ) : मणिमहेश के लिए श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा चंबा से पवित्र छड़ी यात्रा शनिवार को धूमधाम से निकली। विभिन्न 7 पड़ाव से होते हुए एक सप्ताह बाद मणिमहेश पवित्र डल पर पहुंच कर स्नान करेंगी। जिला प्रशासन की तरफ से एडीएम चंबा अमित मैहरा व एसडीएम चंबा अरुण शर्मा ने नगर के रामगढ़ मोहल्ला में मौजूद श्री दशनाम जूना अखाड़ा पहुंचे।
अखाड़ा महत्व यतेंद्र गिरी, साधु संतों व नगर वासियों की मौजूदगी में अखाड़ा के भगवान दत्तात्रेय के मंदिर में पूजा अर्चना करने के उपरांत इस छड़ी को विधिवत रूप से मणिमहेश यात्रा को रवाना किया। दशनाम जूना अखाड़ा के महंत यतेंद्र गिरी ने रियासत काल से चली आ रही इस धार्मिक परंपरा का निर्वाह करते हुए शिव-शक्ति का प्रतीक माने जाने वाली छड़ियों को उठा कर अपने पहले पड़ाव नगर के मोहल्ला जुलाहकड़ी की ओर प्रस्थान किया।
क्या है छड़ी का महत्व
गौरतलब है कि रियासत काल से यह मणिमहेश छड़ी यात्रा निकल रही है और धार्मिक दृष्टि से इसका वहीं महत्व है जो कि अमरनाथ यात्रा पर श्रीनगर के दशनाम अखाड़ा से निकलने वाली छड़ी का है। मणिमहेश छड़ी का इतिहास उतना ही पुराना है जितना की ऐतिहासिक चंबा शहर का है। वर्षों से चली आ रही इस यात्रा के प्रति हिंदू धर्म के लोगों में बेहद आस्था है।
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इस छड़ी यात्रा के चंबा से रवाना होने के साथ ही मणिमहेश यात्रा का काउंटडाउन शुरू हो जाता है क्योंकि दिनों के भीतर चंबा से मणिमहेश डल तक यह छड़ी यात्रा पैदल ही सफर तय करती है और साथ पड़ावों में रुकने के बाद जब यह मणिमहेश पहुंचती है तो अगले दिन मणिमहेश डल में यह डुबकी लगाती है। इसी रोज यह धार्मिक यात्रा धार्मिक दृष्टि से संपन्न हो जाती है।