मुंबई:
कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण और भारत की आयात नीति (Import Policy) का व्यवसायों पर असर पड़ रहा है. इलेक्ट्रॉनिक (Electronics) उपकरण महंगे हो रहे हैं और बाजार में मांग की कमी है. चीन के साथ चल रहे तनाव की वजह से भारत की ओर से निर्यात को लेकर लिए गए निर्णय का असर इलेक्ट्रॉनिक व्यवसाय पर पड़ा है. दुकानदारों को बेचने के लिए सामान नहीं मिल रहा है. इसके अलावा कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन (Lockdown) का असर व्यवसाय पर साफ देखने को मिल रहा है.
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मुम्बई के मनीष मार्किट में आम तौर पर जितनी भीड़ होती है, अब उसके मुकाबले एक चौथाई भी भीड़ नहीं है. कोरोना, लॉकडाउन और भारत चीन के बीच चल रहे तनाव का असर यहां साफ तौर पर देखने मिल रहा है. सेल्स एक्जीक्युटिव अमान एक भारतीय कंपनी बेल के लिए काम करते हैं. इस कंपनी की मैनुफैक्चरिंग चीन में होती है. भारत और चीन के बीच जारी तनाव और उसके बाद तय की गई आयात नीतियों का असर अब इस कंपनी के व्यवसाय पर देखने मिल रहा है. न तो समय पर सामान पहुंच पा रहा है, न ही पहले की तरह मांग है.
अमान कहते हैं कि ”प्रभाव ऐसा है कि अब पहले जैसा मार्केट नहीं है. पहले बाजार बहुत अच्छा चल रहा था पर अब इम्पोर्ट, एक्सपोर्ट बंद होने की वजह से पहले की तरह फ्लो नहीं रहा. करीब 50 फीसदी इम्पोर्ट कम है. हम जैसे तैसे कस्टमर की मांग को पूरा कर रहे हैं.”
मोबाइल उपकरणों के व्यवसाय से जुड़े जूजर बगतरावाला बताते हैं कि ”बाजार की हालत कभी इतनी खराब नहीं रही है. चीन से बहुत कम सामान आ रहा है, साथ ही बाज़ार में पहले की तरह कोई रौनक नहीं है. कई लोगों ने अब अपनी दुकाने बंद कर दी हैं.” वे कहते हैं कि ”अब केवल 25 फीसदी ही बिज़नेस रह गया है, उसमें भी हम किराया, बिजली का बिल और हमारे कर्मचारी को पैसा दे पा रहे हैं. ऐसा चलता रहा तो मुझे मेरी दो दुकानों में से एक दुकान बंद करनी पड़ेगी. मेरे कई दोस्तों ने अपनी दुकानें बंद कर दी हैं.”
आम तौर पर गणेशोत्सव के बाद से ही बाज़ारों में भीड़ रहती है. इसे शॉपिंग सीजन कहा जाता है. हर साल इस समय त्योहार के चलते स्पीकर की मांग होती है, पर इस साल दुकानदार मोहम्मद यूसुफ के यहां 10 फीसदी लोग भी नहीं आ रहे हैं. हालात खराब है. मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि ”हर साल इस समय काम इतना होता है कि दुकान बंद करते-करते भी लोग आते रहते हैं. इस साल हम दिन भर ऐसे ही बैठे हैं. ऐसा कभी नहीं हुआ.”