चंबा अपनी लोक कलाओं के लिए विश्व विख्यात है और चंबा चप्पल इस सूची में शामिल है। पीएम विश्वकर्मा योजना लांच होने पर पीएम मोदी के हाथों चंबा की हस्तकला से जुड़ा कलाकार सम्मानित होने से पूरे हिमाचल के कलाकारों का सम्मान बढ़ा है।
चंबा,( विनोद ): पीएम विश्वकर्मा योजना लांच होने के अवसर पर चंबा की हस्तकला का एक बार फिर से राष्ट्रीय स्तर पर डंका बजा है। पीएम विश्वकर्मा दिवस पर प्रधानमंत्री के हाथों चंबा के उस पारंपरिक कार्य को अंजाम देने वाले कलाकारों को सम्मानित किया गया जो वर्षों पुरानी चंबा चप्पल की कला के माध्यम से अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। चंबा शहर के मोहल्ला धड़ोग का रहने वाला गुलशन चंद्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र से सम्मानित हुआ।
रविवार को पीएम विश्वकर्मा दिवस पर प्रधानमंत्री के हाथों से गया में यह सम्मान हासिल किया। गुलशन चंद्रा की बात करे तो वह पिछले 25 वर्षों से चंबा चप्पल के निर्माण कार्य के क्षेत्र से जुटे हुए है। चंबा चप्पल हाथों से चमड़े की चप्पल बनाने की एक अद्भुत कला है। इसे लेदर क्राफ्ट वर्क की श्रेणी में शामिल किया गया है। चंबा चप्पल के बारे में इतना ही कहां जा सकता है कि जहां भी चंबा की कलाओं का जिक्र होता है तो चंबा चप्पल व चंबा रुमाल का नाम सबसे पहले जुबान पर आता है।
आधुनिकता के बाजार में चंबा चप्पल को नई पहचान दिलाने और आधुनिक बाजार उपलब्ध कराने के लिए चंबा जिला प्रशासन ने इसे जीआई टैग भी हासिल करवा दिया है। यानी अब ग्लोबल मार्किट में भी चंबा चप्पल को पहचान मिल चुकी है। ऐसे में प्रधानमंत्री के हाथों इस कला से जुड़े एक कलाकार का सम्मान होने निसंदेह इस कला के सुनहरे भविष्य का सूचक कहा जा सकता है।
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क्या कहना है उपायुक्त चंबा का
उपायुक्त अपूर्व देवगन का कहना है कि प्रशासन का हमेशा यह प्रयास रहता है कि चंबा की लोक कलाओं को उचित मंच और उनसे जुड़े कलाकारों के हितों की सुरक्षा की जाए। चंबा अपनी लोक कलाओं के लिए विश्व विख्यात है और चंबा चप्पल भी इस श्रेणी में शामिल है। चंबा को हर वर्ष देश-विदेश से पर्यटक आते है और जो भी यहां आता है वह अपने साथ चंबा चप्पल को जरूर लेकर जाता है।
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ऐसे में गुलशन चंद्रा का प्रधानमंत्री के हाथों सम्मानित होना जिला चंबा के साथ-साथ हिमाचल के कलाकारों के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का यह प्रयास रहता है कि लोक कलाओं को स्वरोजगार के साथ जोड़ा जाए ताकि इन कलाओं के माध्यम से रोजगार के नये अवसर प्राप्त हो तथा युवा पीढ़ी अपनी इन धरोहर कलाओं को सहजने में अहम भूमिका निभाए।