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5:52 am, Monday, 7 April 2025

वीरभद्र सिंह को यूं नहीं कहा जाता दिलों का राजा

मुख्यमंत्री के रूप में चुराह के दौरे के दौरान हो गए थे आग बबूला

चंबा, 9 जुलाई (विनोद): वीरभद्र सिंह को दिलों का राजा किस लिए कहां जाता था इसके यूं तो कई प्रमाण मौजूद हैं। इसमें चुराह का भी एक मामला शामिल है जिसमें एक बच्ची की खराब आंख को देखकर न सिर्फ वीरभद्र सिंह आग बबूला हो गए थे बल्कि उस बच्ची का चंढीगढ़ पीजीआई में उपचार करवाने की पूरी व्यवस्था करवाई।
यह बात पूर्व कांग्रेस के कार्यकाल की है। उस दौरान मुख्यमंत्री के रूप में वीरभद्र सिंह चुराह के दौरे पर आए। खुशनगरी के पास बिजली बोर्ड के सबस्टेशन का शिलान्यास करने गए तो वहां एक गरीब अनपढ़ चुराह की महिला अपनी गोद में करीब 4 वर्ष की बच्ची को लेकर पहुंच गई।
मुख्यमंत्री के सुरक्षा कर्मियों ने उस महिला को रोकने चाहा तो राजा की जैसे ही उस महिला पर नजर पड़ी तो उन्होंने सुरक्षा कर्मियों को उसे आने देने को कहा। महिला जैसे ही राजा के पास पहुंची तो वीरभद्र सिंह ने बच्ची को देखा तो उसकी एक आंख पर कपड़ा बंधा हुआ था और चेहरे का वह हिस्सा बुरी तरह से सुजा हुआ था।
बस फिर क्या था एकदम से मुख्यमंत्री को गुस्सा आ गया और उन्होंने महिला से उस डाक्टर के बारे में पूछते हुए तुरंत उसे सस्पैंड करने को कहा। महिला अपनी स्थानीय चुराही भाषा में कुछ बताने का प्रयास करती रही लेकिन राजा का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था। 
मुख्यमंत्री के इस दौरे के दौराम मौजूद अधिकारियों की टीम के होश उड़ गए और हर कोई घबरा गया। इसी दौरान इस काफिले में शामिल तत्कालीन बिजली बोर्ड मंडल चम्बा के अधिशाषी अभियंता मदन शर्मा ने आगे बढ़ कर चुराही भाषा में महिला से बात की।
महिला ने अपनी भाषा में बताया कि बच्ची की आंख किसी डाक्टर की वजह से नहीं बल्कि इसका चंबा में उपचार नहीं होने के चलते यह स्थिति बनी है। अधिशासी अभियंता मदन शर्मा ने मुख्यमंत्री को उक्त महिला द्वारा दी गई जानकारी बारे बताया। तब जाकर राजा वीरभद्र सिंह का गुस्सा शांत हुआ। 
उन्होंने उस बच्ची जो कि अच्छी तरह से मुंह भी नहीं धोए हुए थी और उसके मुंह पर खाने के अंश शेष चिपके हुए थे उसे अपने हाथों से सहलाया और प्यार किया। महिला ने अपनी गरीबी के बारे में बताते हुए चंढीगढ़ तक जाने के पैसे नहीं होने की बात कही।
इस पर वीरभद्र सिंह ने कहा कि इस बच्ची की आंख का उपचार हिमाचल सरकार करवाएगी। उन्होंने उसी समय तत्कारी एडीएम चमन शर्मा को मौक पर ही निर्देश दिए कि दो दिन बाद इस महिला, बच्ची व परिवार के एक अन्य सदस्य के पीजीआई चंढ़ीगढ़ जाने की व्यवस्था करो और इस महिला के साथ एक पैरामैडिकल स्टाॅफ के कर्मचारी को भी भेजे क्योंकि यह लोग अनपढ़ व भोले हैं। इन्हें पीजीआई में परेशानी होगी।
साथ ही एडीएम को वीरभद्र सिंह ने यह भी निर्देश देते हुए पीजीआई में तैनात एक विशेषज्ञ चिकित्सक का नाम बताते हुए उसे फोन करके मेरा हवाला दे और उससे कहें कि इन लोगों के पीजीआई में पहुंचने पर उनकी पूरी मदद करे। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एडीएम चंबा को यह भी आदेश दिए कि जब यह लोग चंबा से चंडीगढ़ के लिए रवाना हो तो इस बारे में जिला प्रशासन स्वयं फोन कर उन्हें सूचित करे। 
इस मौके पर जो भी लोग वहां मौजूद थे वे सब यह कहने के लिए मजबूर हो गए कि वाक्य में वीरभद्र सिंह नाम व काम दोनों से सचमुच राजा है। इसी के चलते मौके पर वीरभद्र सिंह के नारे गुंजायमान हो गए।

ये भी पढ़ें-: वीरभद्र के निधन के बाद कांग्रेस हाईकमान के सामने सबसे बड़ा सवाल।

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VINOD KUMAR

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वीरभद्र सिंह को यूं नहीं कहा जाता दिलों का राजा

Update Time : 09:33:58 pm, Friday, 9 July 2021

मुख्यमंत्री के रूप में चुराह के दौरे के दौरान हो गए थे आग बबूला

चंबा, 9 जुलाई (विनोद): वीरभद्र सिंह को दिलों का राजा किस लिए कहां जाता था इसके यूं तो कई प्रमाण मौजूद हैं। इसमें चुराह का भी एक मामला शामिल है जिसमें एक बच्ची की खराब आंख को देखकर न सिर्फ वीरभद्र सिंह आग बबूला हो गए थे बल्कि उस बच्ची का चंढीगढ़ पीजीआई में उपचार करवाने की पूरी व्यवस्था करवाई।
यह बात पूर्व कांग्रेस के कार्यकाल की है। उस दौरान मुख्यमंत्री के रूप में वीरभद्र सिंह चुराह के दौरे पर आए। खुशनगरी के पास बिजली बोर्ड के सबस्टेशन का शिलान्यास करने गए तो वहां एक गरीब अनपढ़ चुराह की महिला अपनी गोद में करीब 4 वर्ष की बच्ची को लेकर पहुंच गई।
मुख्यमंत्री के सुरक्षा कर्मियों ने उस महिला को रोकने चाहा तो राजा की जैसे ही उस महिला पर नजर पड़ी तो उन्होंने सुरक्षा कर्मियों को उसे आने देने को कहा। महिला जैसे ही राजा के पास पहुंची तो वीरभद्र सिंह ने बच्ची को देखा तो उसकी एक आंख पर कपड़ा बंधा हुआ था और चेहरे का वह हिस्सा बुरी तरह से सुजा हुआ था।
बस फिर क्या था एकदम से मुख्यमंत्री को गुस्सा आ गया और उन्होंने महिला से उस डाक्टर के बारे में पूछते हुए तुरंत उसे सस्पैंड करने को कहा। महिला अपनी स्थानीय चुराही भाषा में कुछ बताने का प्रयास करती रही लेकिन राजा का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था। 
मुख्यमंत्री के इस दौरे के दौराम मौजूद अधिकारियों की टीम के होश उड़ गए और हर कोई घबरा गया। इसी दौरान इस काफिले में शामिल तत्कालीन बिजली बोर्ड मंडल चम्बा के अधिशाषी अभियंता मदन शर्मा ने आगे बढ़ कर चुराही भाषा में महिला से बात की।
महिला ने अपनी भाषा में बताया कि बच्ची की आंख किसी डाक्टर की वजह से नहीं बल्कि इसका चंबा में उपचार नहीं होने के चलते यह स्थिति बनी है। अधिशासी अभियंता मदन शर्मा ने मुख्यमंत्री को उक्त महिला द्वारा दी गई जानकारी बारे बताया। तब जाकर राजा वीरभद्र सिंह का गुस्सा शांत हुआ। 
उन्होंने उस बच्ची जो कि अच्छी तरह से मुंह भी नहीं धोए हुए थी और उसके मुंह पर खाने के अंश शेष चिपके हुए थे उसे अपने हाथों से सहलाया और प्यार किया। महिला ने अपनी गरीबी के बारे में बताते हुए चंढीगढ़ तक जाने के पैसे नहीं होने की बात कही।
इस पर वीरभद्र सिंह ने कहा कि इस बच्ची की आंख का उपचार हिमाचल सरकार करवाएगी। उन्होंने उसी समय तत्कारी एडीएम चमन शर्मा को मौक पर ही निर्देश दिए कि दो दिन बाद इस महिला, बच्ची व परिवार के एक अन्य सदस्य के पीजीआई चंढ़ीगढ़ जाने की व्यवस्था करो और इस महिला के साथ एक पैरामैडिकल स्टाॅफ के कर्मचारी को भी भेजे क्योंकि यह लोग अनपढ़ व भोले हैं। इन्हें पीजीआई में परेशानी होगी।
साथ ही एडीएम को वीरभद्र सिंह ने यह भी निर्देश देते हुए पीजीआई में तैनात एक विशेषज्ञ चिकित्सक का नाम बताते हुए उसे फोन करके मेरा हवाला दे और उससे कहें कि इन लोगों के पीजीआई में पहुंचने पर उनकी पूरी मदद करे। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एडीएम चंबा को यह भी आदेश दिए कि जब यह लोग चंबा से चंडीगढ़ के लिए रवाना हो तो इस बारे में जिला प्रशासन स्वयं फोन कर उन्हें सूचित करे। 
इस मौके पर जो भी लोग वहां मौजूद थे वे सब यह कहने के लिए मजबूर हो गए कि वाक्य में वीरभद्र सिंह नाम व काम दोनों से सचमुच राजा है। इसी के चलते मौके पर वीरभद्र सिंह के नारे गुंजायमान हो गए।

ये भी पढ़ें-: वीरभद्र के निधन के बाद कांग्रेस हाईकमान के सामने सबसे बड़ा सवाल।