चुराह कांग्रेस में बगावत के स्वर मुखर,पूर्व विधायक बोले पार्टी छोड़ दूंगा

टिकट कटने से पूर्व कांग्रेस विधायक चुराह खफा हाईकमान को दो दिन का समय दिया

चंबा,( विनोद ): चुराह कांग्रेस में बगावत के स्वर मुखर हो गए है। पूर्व विधायक बोले पार्टी छोड़ दूंगा। जिला चंबा में भाजपा के बाद अब कांग्रेस में बगावत के स्वर मुखर हो गए है। जिला चंबा से कांग्रेस पार्टी ने अपने चुराह के पूर्व विधायक सुरेंद्र भारद्वाज का टिकट काट कर नये चेहरे को चुनावी मैदान में भाजपा नेता व विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज के खिलाफ चुनावी रण में उतारा है।

 

कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले के खिलाफ पूर्व कांग्रेस विधायक एवं पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेंद्र भारद्वाज ने बगावत का ऐलान कर दिया है। भारद्वाज का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान ने उसकी पार्टी के प्रति निष्ठा व ईमानदारी का नजर अंदाज कर ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है जिन्हें डेढ़ माह पहले ही कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है।

 

सुरेंद्र भारद्वाज के पिता विद्याधर स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ कांग्रेस के नेता व प्रदेश की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे। भारद्वाज खुद दो बार चुराह से कांग्रेस की टिकट पर विधायक रहे है। बीते दो चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था लेकिन उनका दावा है कि पार्टी ने 10 से 12 हजार मतों तक तथा तीन-तीन बार चुनाव हारने वाले कांग्रेस के नेताओं को टिकट दिए तो फिर उनका टिकट क्यों काटा गया।

ये भी पढ़ें: जिलाा चंबा में Congress party के लिए चुनावी डगर आसान नहीं।

 

उन्होंने पार्टी हाईकमान को दो दिनों का समय देते हुए कहा कि अगर पार्टी ने 22 अक्तूबर तक उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह न सिर्फ आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होंगे बल्कि जरूरत पड़ी तो वह भाजपा में भी जा सकते है। भारद्वाज ने कहा कि 22 अक्तूबर को वह अपने चुनाव क्षेत्र चुराह के पुखरी में बैठक करने जा रहे है। तब तक कांग्रेस पार्टी के पास अपना निर्णय बदलने का समय है।

 

पूर्व कांग्रेस विधायक चुराह के यह बगावती स्वर चुराह में कांग्रेस के विजयी राग को बेसुरा बना सकते है। निसंदेह कांग्रेस के लिए यह स्थिति जहां चिंता पैदा करने वाली है तो दूसरी तरफ जीत का हैट्रिक बनाने का दावा करने वाले भाजपा प्रत्याशी हंसराज के मन में लड्डू फूटने की स्थिति बनी हुई है। देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी जिला चंबा के चुराह में रचे अपने ही चक्रव्यूह से कैसे पार पाती है।