Pangi Hing : हिमाचल की पांगी घाटी में हींंग(asafetida) की खेती से महकेगी। हिमाचल कृषि विभाग इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने वाला है। कृषि विभाग की माने तो पांगी घाटी में हींग की खेती को बढ़ावा देने को फ्री में पौधे देने जा रहा है। इसके लिए वह फरवरी में इस प्रक्रिया को अंजाम देगा।
चंबा, (रेखा शर्मा ): पांगी की ठांगी व पांगी का जीरा तो पहले ही पांगी घाटी को अलग पहचान दिला चुका है। बाजार में इनकी मांग बेहद अधिक है। यहां तक की जिला प्रशासन ने भी इस पांगी के उत्पादों को उचित मुकाम हासिल करवाने को हिमाचल सरकार भी वचनबद्ध है। बीते वर्ष के सितंबर माह में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने पांगी प्रवास पर गए थे।
उन्होंने पांगी के उत्पादों की बात करते हुए ठांगी, काला जीरा, गुच्छी, अखरोट का तेल, चिलगोजा, गुरणु, सेब और अन्य नगदी फसलों को मुख्य बाज़ार तक पहुंचाने के लिए घाटी में ही पैकेजिंग सामान उपलब्ध करवाएं। मंत्री ने पांगी के किसानों को विशेष प्रशिक्षण दिलवाने की बात भी कही थी। पांगी के जैविक उत्पाद बाजार में एक अलग से पहचान बना सके तो साथ ही लोगों की आर्थिकी मजबूती की दिशा में यह कदम उठाने की बात कही थी। अब इस दिशा में पांगी आगे बढ़ती नजर आएगी।
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कृषि विकास अधिकारी पांगी नरेश कुमार नायक ने बताया की कृषि विभाग द्वारा घाटी में हींग(Hing) की खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों को विभाग द्वारा नि:शुल्क हींग के पौधे फरवरी माह में वितरित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि घाटी के इच्छुक किसानों जिनके पास 2 बीघा भूमि उपलब्ध है, वे कृषि विभाग के किलाड़ कार्यालय में अपना नाम पंजीकृत करवाए ताकि वे सरकारी योजना का लाभ प्राप्त कर सके।
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निसंदेह पांगी घाटी पर्यटन की दृष्टि से विकसित होने का पूरा मादा रखती है लेकिन इसके अलावा अगर यहां के किसानों को परंपरागत खेती के साथ नकदी फसलों(cash crops) की तरफ रूख करते हैं तो अवश्य ही पांगी के साथ-साथ जिला चंबा नई पहचान हासिल कर सकता है। जिस प्रकार से मटर की खेती के क्षेत्र में पांगी के जैविक खेती के माध्यम से उगाए जाने वाले मटर की बाजार में भारी मांग रहती है। इस तरह से आने वाले समय में पांगी हींग(Pangi Hing) की खेती के लिए भी जाना जा सकता है।
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