पुलिस ने बयान में कहा, “अब्दुल्ला दानिश सिमी के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक था, जिसने पिछले कई वर्षों में कई युवा मुसलमानों को आतंकी गतिविधियों के लिए राजी किया,” बयान में आगे कहा, “वह चार साल तक सिमी की पत्रिका ‘इस्लामिक मूवमेंट’ के हिंदी संस्करण का मुख्य संपादक था”
पुलिस ने कहा कि अब्दुल्ला दानिश उत्तर प्रदेश के मऊ का रहने वाला है और उसका घर यूपी के अलीगढ़ में है. एक ट्रायल कोर्ट ने उसे 2002 में मोस्ट वांटेड घोषित किया था और पुलिस को तब से उसकी तलाश थी. स्पेशल सेल के सीनियर पुलिस ऑफिसर अत्तर सिंह पिछले एक साल से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और यूपी में अब्दुल्ला दानिश की मूवमेंट पर नज़र रख रहे थे.
पुलिस ने बयान में एनआरसी और सीएए के विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, “सिमी के आतंकवादी ने “एनआरसी और सीएए के खिलाफ लामबंद होने के लिए मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार करने के लिए धार्मिक समूहों के बीच भेदभाव पैदा करने का काम किया.”
पुलिस ने कहा कि अब्दुल्ला दानिश ने मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार करने वाली सरकार को दिखाने के लिए कथित रूप से नकली वीडियो प्रसारित किए.
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पुलिस ने बयान में आगे कहा, “एक साल से अधिक समय की मेहनत के बाद , 5 दिसंबर को अब्दुल्ला दानिश के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त हुई थी. इसके आधार पर, जाकिर नगर, दिल्ली के पास एक छापेमारी दल का गठन किया गया था और अब्दुल्ला दानिश को गिरफ्तार किया गया था.”
सिमी की स्थापना 1977 में अलीगढ़ में हुई थी. इसे 2001 में सरकार ने आतंकी गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. पुलिस के मुताबिक, अब्दुल्ला दानिश ने 1985 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अरबी की पढ़ाई की थी.
पुलिस ने कहा, “सिमी कार्यकर्ताओं के संपर्क में आने के बाद वह अत्यधिक कट्टरपंथी बन गया. सिमी में शामिल होने के बाद, अब्दुल्ला दानिश ने सिमी के साप्ताहिक कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया … सिमी के तत्कालीन अध्यक्ष अशरफ जाफरी ने 1988 में अब्दुल्ला दानिश को सिमी पत्रिका के हिंदी संस्करण का संपादक बनाया … उसने भारत में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में झूठा दावा करते हुए कई अभियोगात्मक लेख लिखे थे.”
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