चंबा, ( विनोद ): चंबा में खनन माफिया बेखोफ है। वजह है कि इस पर नकेल कसने वाले विभाग मूकदर्शक बने हुए है। यही वजह है कि जिला चंबा में अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है। खनन व पुलिस विभाग को छोड़कर शेष सभी विभाग इस मामले में औपचारिकता निभाना तक जरूरी नहीं समझते है। यही वजह है कि पैसे कमाने की होड़ में जिला चंबा के नदी-नालों में अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है।
यूं तो अवैध खनन पर नकेल कसने की सरकार ने कई विभागों को शक्तियां प्रदान कर खरी है लेकिन अवैध खनन को राजनीतिक शरण प्राप्त होने के चलते ज्यादातर विभाग इस मामले पर अपनी भूमिका को मूकदर्शक तक सीमित हुए हुए है। अवैध खनन की दृष्टि से चंबा में सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों की सूची में सुंडला, राजपुरा, तड़ोली, उदयपुर का नाम शामिल है। यहां हर समय अवैध खनन होते हुए देखा जा सकता है।
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मजेदार बात यह है कि यह सभी अवैध खनन स्थल मुख्य सड़कों के साथ जुड़े हुए है। बावजूद इन पर लगाम कसने में सरकारी विभाग पूरी तरह से प्रभावहीन नजर आते है। लोगों की माने तो प्रदेश के सभी राजनीतिक दल विपक्ष के कार्यकाल के दौरान अवैध खनन को सत्ताधारी दल के खिलाफ धारदार हथियार के रूप में प्रयोग करने से गुरेज नहीं करते हैं लेकिन सत्ता में आते ही प्रत्येक राजनीतिक दल इस मामले में महज आदेश देने तक ही सीमित होकर रह जाते है।
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विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने भी हिमाचल की तत्कालीन BJP सरकार को अवैध खनन की आड़ में खूब घेरा लेकिन अब चूंकि हिमाचल की सत्ता में कांग्रेस की वापसी हो चुकी है लेकिन जिला चंबा में अवैध खनन पूर्व की भांति ही धड़ल्ले के साथ हो रहा है। खनन विभाग की बात करे तो वह विभाग के कर्मचारियों की कमी व सुविधा को रोना रोकर खुद को इससे पूरी तरह से निपटने में असमर्थ बताता है तो वन, लोक निर्माण, पुलिस व अन्य विभागों का कहना है कि उनके पास पहले ही अपने विभागों के काम इतने अधिक है कि वे चाह कर भी अवैध खनन पर कार्रवाई करने में सफल नहीं हो पाता है।