HP liquor policy : सियासी संकट में फंसी सुक्खू सरकार अब शराब ठेका नीलामी प्रक्रिया में उलझी नजर आ रही। हिमाचल की नई आबकारी नीति 2024-25 के माध्यम से हिमाचल को मालामाल करने की सोच को जमीनी जामा पहनाने में माथा पच्ची करनी पड़ रही।
चंबा, ( विनोद ): अबकी बार हिमाचल के 2100 ठेकों की नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से सरकार ने 2700 करोड़ रुपए अर्जित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है लेकिन अब तक यह दूर की कोडी नजर आता दिख रहा है। सरकार को यह लक्ष्य हासिल करना सिरदर्द(Headache) बनता नजर आ रहा। शुरुआती दौर में शराब(liquor) के ठेके की नीलामी का दौर लगभग पूरा हो चुका है लेकिन अभी तक महज 6 जिलों में कामयाबी हासिल हुई है।
इसमें भी अब बारीकी के साथ नजर दौड़ाई जाए तो शराब के कुछ यूनिट में तो विभाग को मामूली सा लाभ अर्जित हुआ है जबकि हिमाचल का सबसे बड़ा जिला कांगड़ा सहित मंडी, बिलासपुर, ऊना, नूरपुर व चंबा में नीलामी प्रक्रिया का पहला दौर असफल रहा। यही वजह है कि अब सरकार नीलामी(auction) के दूसरे दौर को अंजाम देने जा रहा है। 9 मार्च को कांगड़ा, व बिलासपुर, 10 को मंडी व 11 को चंबा, ऊना व नूरपुर में दोबारा नीलामी प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा।
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आबकारी नीति 2023-24 के मुकाबले अबकी बार शराब से 200 करोड़ रुपए की अधिक आय अर्जित करने का सरकार का लक्ष्य है। सरकार के इस लक्ष्य की पूर्ति में हिमाचल(Himachal) आने वाले सैलानियों का योगदान महत्वपूर्ण रहता है लेकिन कश्मीर(Kashmir) में बदले हालातों के साथ बीते वर्ष हिमाचल में बरपी प्राकृतिक आपदा(natural calamity) ने हिमाचल पर्यटन(tourism) बिजनेस को नुकसान पहुंचाया उससे कहीं न कहीं हिमाचल का शराब व्यापार प्रभावित हुआ है।
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इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए शराब कारोबारी अबकी बार सरकार की नई आबकारी नीति(excise policy) के राग में सुर मिलाने में रुचि दिखाते प्रतीत नहीं हो रहे हैं। ऐसे में नीलामी प्रक्रिया का दौर कब तक जारी रहता है इसके बारे में कुछ भी कहना सहज नहीं है।