Gujarat Shiva Temple : भारत के गुजरात(Gujarat) का एक अनोखा शिव मंदिर है। गुजरात में सोमनाथ मंदिर के पास है यह मंदिर। कहते हैं कि यह अनोखा शिव मंदिर दिन में दो बार आंखों के सामने से ओझल हो जाता है।
religious news : गुजरात के प्राचीनतम मंदिरों में से एक स्तंभेश्वर महादेव मंदिर।(Stambheshwar Mahadev Temple) का निर्माण 7वीं सदी में हुआ था। इसे चावडी संतों ने बनाया था। बाद में मंदिर का पुनर्निर्माण श्री शंकराचार्य(Shankaracharya) ने कराया। मंदिर में भगवान महादेव की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है। मंदिर के पास त्रिलोचन गढ़ किला है, जिसका निर्माण सोमनाथ ज्योतिर्लिंग(Somnath Jyotirlinga) को सुरक्षित रखने के लिए कराया गया था।
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कहां स्थित है स्तंभेश्वर महादेव मंदिर
भारत के सबसे अनोखे मंदिरों की सूची(List of unique temples) में शुमार स्तंभेश्वर महादेव मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर(Gandhinagar) से लगभग 175 किमी दूर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में स्थित है। प्राचीन सोमनाथ मंदिर(Somnath Temple) से यह करीब 15 किमी की दूरी पर है। ऐसे में अगर सोमनाथ मंदिर के दर्शन के लिए जाए तो स्तंभेश्वर महादेव मंदिर भी जा सकते हैं।
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मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यता
शिवपुराण(Shivpuran) के अनुसार, ताड़कासुर असुर की तप से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि शिव पुत्र के अलावा उसे कोई मार नहीं सकेगा। पुत्र की आयु 6 दिन की होनी चाहिए। वरदान मिलने के बाद असुर तारकासुर का आतंक बढ़ गया। तारकासुर का वध करने के लिए श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय का जन्म हुआ। उन्होंने असुर का वध कर दिया लेकिन भक्त की मृत्यु से भगवान शिव दुखी हो गए। इस पर कार्तिकेय ने प्रायश्चित करने के उद्देश्य से जिस स्थान पर असुर का वध किया था वहां शिवलिंग की स्थापना की। इस स्थान का नाम स्तंभेश्वर महादेव मंदिर पड़ा।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर समुद्र में क्यों डूबता है
यह मंदिर अरब सागर(Arabian Sea) और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है। समुद्र किनारे पर दो बार ज्वार भाटा(tide) आता है। इस दौरान पानी मंदिर के अंदर आकर शिवलिंग का अभिषेक करके लौट जाता है। मंदिर के समुद्र(Sea) में समा जाने के पीछे भी यही कारण है। मान्यता ये भी है कि यह अनोखा शिव मंदिर सुबह और शाम पलभर के लिए आंखों के सामने से ओझल हो जाता है।
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