चंबा में कांग्रेस झेल चुकी 3 हार, भाजपा चौका लगाने को बेकरार, भाजपा-कांग्रेस के लिए चंबा सीट साख का सवाल बनी

कांग्रेस-भाजपा के लिए ग्रामीण क्षेत्र की महिला चुनौती बनी

चंबा, ( विनोद ): चंबा में कांग्रेस 3 बार हार झेल चुकी तो भाजपा हैट्रिक बना चुकी है। ऐसे में इस बार के चुनाव में जिला की यह सदर सीट भाजपा व कांग्रेस के लिए साख का सवाल बनती नजर आने लगी है। दोनों राजनैतिक दलों ने इस सीट को अपने राजनैतिक स्वाभिमान के साथ जोड़ लिया है।

 

इस बात का आभास इसी से लग जाता है कि भाजपा ने इस सीट पर अपने जीत के क्रम को बरकरार रखने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है तो कांग्रेस भी अपने दिग्गजों के साथ यहां अपने वजूद को तलाशने के लिए हाथ-पांव मारती नजर आ रही है।

 

बीते तीन विधानसभा चुनाव के अलावा भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट से प्रचंड बहुमत हासिल करने में सफल रहीं तो इस चुनाव में भी कांग्रेस के हिस्से में हार ही आई। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में अपने दिवंगत नेता सागर चंद नैयर के बेटे नीरज नैयर के रूप में अपनी खोई जमीन को पाने का प्रयास किया लेकिन पार्टी की उम्मीदों पर नीरज नैयर खरा नहीं उतर पाए और भाजपा के हाथों हार झेलनी पड़ी।

 

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कांग्रेस ने इस बार के चुनाव में फिर से नीरज नैयर पर बड़ा दाव खेला है तो भाजपा ने फिर से एक नया चेहरा नीलम नैयर के रूप में चुनावी मैदान में उतारा है। यह पहला अवसर है जब इस विधानसभा सीट से किसी राजनैतिक दल ने किसी महिला को अपना प्रत्याशी बनाया है।

 

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कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की बात करे तो अब तक चंबा विधानसभा सीट पर मुकेश अग्निहोत्री के अलावा कोई भी दूसरा बड़ा चेहरा चुनाव प्रचार करने नहीं आया है तो भाजपा की बात करे तो उसने भी अभी तक जयराम ठाकुर की चुनावी रैली आयोजित की है। यूं तो अभी तक मतदान दिवस को कुछ और दिन शेष है लेकिन चुनावी माहौल की गर्माहट बखूबी महसूस होने लगी है।

 

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इन राष्ट्रीय पार्टियों के लिए इस समय सबसे अधिक चिंता का केंद्र आजाद प्रत्याशी इंदिरा कपूर का नाम बना हुआ है। इसकी वजह यह है कि चंबा विधानसभा के 83 हजार मतदाताओं में करीब 75 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण क्षेत्र के है और कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों का गांव से दूर-दूर का नाता नहीं है जबकि आजादी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही इंदिरा कपूर ग्रामीण क्षेत्र की रहने वाली है।

 

इतना जरूर है कि दोनों राष्ट्रीय दल खुद के लिए आजाद प्रत्याशी इंदिरा कपूर का चुनावी मैदान में खड़ा होना लाभदायक मान रहें है लेकिन कही ऐसा न हो कि ग्रामीण क्षेत्र की एकता का संदेश भाजपा व कांग्रेस की जीत के सुरों को बेसुरा बना जाए।