चंबा की राजनीति में चंचल नैयर का नाम उन महिलाओं की सूची में प्रथम स्थान पर रहेगा जिसने गरीबों के हितों को सुरक्षित बनाने में हमेशा खुद को सक्रिय रखा। यही वजह है कि लोग उन्हें प्यार से बीबी जी कह कर बुलाते थे।
चंबा, ( विनोद ): चंबा की राजनीति में चंचल नैयर एक ऐसी हस्ती रही जिसके सामने बोलने से हिमाचल की राजनीति के सबसे पावरफुल नेता वीरभद्र सिंह भी गुरेज करते थे। इसकी वजह यह थी के चंचल नैयर तेज स्वभाव के साथ सच व प्रखर बोलने वाली पार्टी कार्यकर्ता थी। यूं तो उनके पति सागर चंद नैयर ने कई बार चंबा का प्रतिनिधि हिमाचल विधानसभा में किया लेकिन सही मायने में उनकी कामयाब राजनीति के पीछे उनकी पत्नी चंचल नैयर खड़ी थी।
80 के दशक में हिमाचल की राजनीति में पुरुष वर्ग का पूरी तरह से दवदवा था। महिलाओं का राजनीति में आना अच्छा नहीं माना जाता था। उस दौर में एक ऐसा नाम चंबा की राजनीति में उभरा जिसने महिलाओं में राजनीति के प्रति आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाई। भाजपा के दिग्गज व तेज तर्रार नेता किशोरी लाल को जब भी सागर चंद ने चुनावों में हराया तो उसके पीछे चंचल नैयर कहीं न कहीं खड़ी नजर आई। एक समय ऐसा आया कि चंबा में कांग्रेस पार्टी के भीतर पुरूषों के मुकाबले महिलाओं का दबदबा अधिक हो गया है।
उनकी मौजूदगी में महिलाओं को पार्टी में प्राथमिकता मिली। यही वजह रही कि उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी कि प्यार से लोग उन्हें “बीबी जी” कहने लगे। जीवन के अंत तक इसी नाम से वह जानी जाती रही। चंचल नैयर ने हमेशा गरीबों के हितों को प्राथमिकता दी। चंबा में आज भी हजारों ऐसे परिवार मौजूद हैं जिन्हें चंचल नैयर ने सरकारी नौकरी दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
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सागर चंद नैयर की पार्टी टिकट कटी तो चंचल नैयर वीरभद्र सिंह टकरा गई। यही वजह रही कि जब हिमाचल के दोबरा कांग्रेस सरकार बनी तो वीरभद्र सिंह ने सागर चंद नैयर को वित्त आयोग का अध्यक्ष का पद कैबिनेट रैंक के साथ देकर चंचल नैयर की नाराजगी को दूर किया । नीरज नैयर को कांग्रेस पार्टी का टिकट दिलवाने में भी चंचल नैयर की कांग्रेस पार्टी में मजबूत पैठ आधार बनी। वर्तमान में चंबा की महिलाएं खुल कर राजनीति में अपनी मौजूदगी का आभास करवाने में किसी से पीछे नहीं है और इस श्रेय कहीं न कहीं चंचल नैयर को जाता है।