chamba herb : जिला चंबा में जड़ी-बूटी तस्करी के मामले बढ़े हैं, और बीते 3-4 वर्षों के दौरान यह देखने को मिला है। वन विभाग के नाक तले यह सब हो रहा है।
चंबा, ( विनोद ): जिला चंबा के जंगलों में मौजूद कशमल(Kashmal) को उखाड़ कर ट्रक के ट्रक भरकर ले जा रहे हैं और वन विभाग की नींद तब खुलती है जब सब कुछ लूट चुका होता है। ऐसे में चंबा वेलफेयर एसोसिएशन सरकार से यह मांग करती है कि जिला चंबा के जड़ी-बूटी से संबंधित उद्योग स्थापित करें ताकि जिला चंबा में सक्रिय तस्करी पर रोक लगे।
जिला मुख्यालय में आयोजित संघ की बैठक में सरकार से यह मांग की गई। संघ के अध्यक्ष ओम प्रकाश गोस्वामी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस बात पर अफसोस जताया गया कि जिला चंबा के जंगलों में 35 प्रकार की बहुमूल्य जड़ी-बूटियां मौजूद हैं।
महज 5 वर्षों में सरकार ने जिला चंबा से लाखों कमाएं
महज वर्ष 2005 से 2010 के बीच जिला चंबा से करीब 17 हजार क्विंटल जड़ी-बूटियों को देश के विभिन्न बाजारों में ले जाया गया। जिसके बदले में हिमाचल सरकार को करीब 40 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ।
जिला के इन क्षेत्रों में है जड़ी-बूटियों के खजानें मौजूद
संघ ने कहा कि जिला चंबा के पांगी, भरमौर, चुराह, सलूणी व डल्हौजी के जंगलों में प्रचुर मात्रा में जड़ी-बुटियां मौजूद हैं जिनकी बाजार में बेहद मांग है। अफसोस की बात है कि प्रकृति के इस वरदान का सही ढंग से दोहन करने और इसके माध्यम जिला में रोजगार पैदा करने वाले उद्योग अभी तक स्थापित नहीं किए गए हैं।
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ऐसे में हिमाचल सरकार को इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए चाहिए। बैठक में जलशक्ति विभाग से आग्रह किया गया है कि चंबा शहर में बीते कुछ दिनों के बढ़ रहे पीलिया के मामलों पर गंभीरता दिखाते हुए शहर में बिछाई गई सीवरेज के चैंबरों की जांच करवा कर यह पता लगाया जाए कि किसी चैंबर के बीच से पेयजल पाईप लाईन तो नहीं गुजर रही है, अगर ऐसा पाया जाता है तो उक्त पाइप लाईन को चैंबर से बाहर निकाला जाए।
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इस कदम से चंबा शहर में बढ़ रहें पीलिया के मामलों में कमी दर्ज होगी। एसोसिएशन के महासचिव सुरेश कश्मीरी ने बताया कि बैठक में इन मामलों पर चर्चा के दौरान यह निर्णय लिया गया कि इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जाएगा तो साथ ही जल शक्ति विभाग को भी पत्र भेजा जाएगा। बैठक में ईश्वरी प्रसाद,चैन लाल शर्मा, मदन कुमार, धर्मपाल ठाकुर, बलदेव माडयाण, भागेश वोहरा, निकू राम दुनेरिया, दयाराम गौतम, सत्या प्रसाद वैद्य, सरदार प्रेम सिंह व राम चंद धीमान मौजूद रहे।