कंपनी के कर्मचारियों पर भारी आर्थिक लाभ दिया जा रहा

स्वास्स्थ्य कर्मचारी एवं प्रर्यवेक्षक संघ ने कहा सरकार एनएचएम के प्रबंध निदेशक को पद से हटाए

कंपनी के सीएचओ को उपस्वास्थ्य केंद्रों की वजाए अस्पतालों व मैडीकल कालेज में तैनात किया जाए

सिहुंता, 6 जून (इशपाक खान): कंपनी के माध्यम से प्रदेश में रखे सीएचओ यानी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी वर्ग को भारी आर्थिक लाभ पहुंचाया जा रहा है। स्वास्स्थ्य कर्मचारी एवं प्रर्यवेक्षक संघ के जिलाध्यक्ष एवं प्रदेश उपाध्यक्ष बलवान अविनाशी ने जारी अपने ब्यान में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि बेहद हैरान करने वाली बात है कि कंपनी की जिन बी.एस.सी.नर्सों जो कि बतौर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर कार्यरत है उन्हें 40 हजार रुपए वेतन के अलावा भारी भरकम इंसैंटीव भी दिया जा रहा है लेकिन उनकी नियुक्ति उपस्वास्थ्य केंद्रों में की गई है जहां उनका काम हीं नहीं है।

इसके अलावा कंपनी के इन कर्मचारियों हर माह 250 से अधिक कोविड सैंपल लेने पर 6 हजार रुपए का इंसैंटीव भी दिया जा रहा है लेकिन इसी कार्य को करने वाले आशा वर्कर को 3600 तो बहुद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी को महज 1900 रुपए दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हैरान करने वाली बात है कि एक ही काम के बदले में इंसैंटीव राशि को लेकर इतना अधिक अंतर।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई पीएचसी व सीएचसी बी.एस.सी.नर्सों को तरस रहें हैं तो ऐसे में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी जो कि वास्तव में बीएससी प्रशिक्षु नर्स हैं उन्हें उपस्वास्थ्य केंद्रों में क्यों तैनात किया है। यही नहीं इन्हें 40 हजार रुपए वेतन दिया जा रहा है जबकि बहुद्दशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को महज 15 से 20 हजार रुपए वेतन दिया जा रहा है। जबकि यह बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता होम आईसोलेशन वालों को दवाईयां पहुंचा रहा है।
संक्रमित लोगों के परिवार वालों के साथ संपर्क कर रहा है उनकी सैपंलिंग कर रहा है, संभावित संक्रमित लोगों को आगे उपचार केंद्रों में भिजवाने का काम व कोविड वैक्सीनेशन करने का काम बखूबी निभा रहा है। यही नहीं यह कर्मचारी वर्ग बीते 15 महिनों से बिना अवकाश काटे लगातार कोविड के साथ-साथ 42 राष्ट्रीय कार्यक्रमों पर भी कार्य कर रहा है।
जो कर्मचारी वर्ग सबसे अधिक खतरे में होते हुए सबसे अधिक काम कर रहा है उसे सबसे कम वेतन व इंसैंटिव दिया जा रहा है। जिला अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि कंपनी के माध्यम से जिन सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की नियुक्तियां हुई हैं उन पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबन्ध निदेशक इतने मेहरबान क्यों है।
बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं प्रर्यवेक्षक संघ जिला चम्बा ने सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच की जाए कि आखिर कंपनी के माध्यम से कार्यरत इन कर्मचारियों पर प्रबंधन निदेशक इतने मेहरबान क्यों है तो साथ ही उन्हें उनके पद से हटाया जाए। उनकी कार्यशैली की वजह से प्रदेश के अन्य कर्मचारी वर्गों में निराशा पैदा हो रही है। क्योंकि वह कंपनी के माध्यम से तैनात किए जाने वाले कर्मचारियों पर ज्यादा मेहरबानी दिखा रहें है।
संघ ने सरकार से यह भी मांग की है कि इस वर्ग को सरकारी पी.एच.सी., सी.एच.सी., रैफल अस्पताल, अस्पताल व मैडीकल कालेजों में इन सी.एच.ओ. की तैनाती की जाए ताकि वहां रिक्त पड़ें बीएससी नर्सों के पद भरे जाने से राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतर हो सके।