HP Congress Crisis : हिमाचल प्रदेश राज्य सभा में क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 विधायकों पर दलबदल विरोधी कानून(anti defection law) लगाया जाता है तो हिमाचल की राजनीति में उसके क्या मायने हाेंगे? यह बात हर कोई जानने को उत्सुक है।
चंबा, ( विनोद ): हिमाचल प्रदेश राज्य सभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 विधायकों पर दलबदल विरोधी कानून(anti defection law) लगाया जाता है तो हिमाचल की राजनीति में उसके क्या मायने हाेंगे? यह बात हर कोई जानने को उत्सुक है। दलबदल विरोधी कानून लागू होता है, तो ये विधायक अपनी विधानसभा सदस्यता खो सकते हैं। इससे विधानसभा में कांग्रेस की संख्या कम हो जाएगी और उनकी सरकार कमजोर हो जाएगी। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के पास 68 में से 40 सीटें हैं।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि क्रॉस वोटिंग(cross voting) ने हिमाचल में कांग्रेस सरकार के भीतर चल रहे शीत युद्ध(cold war) को न सिर्फ जगजाहिर कर दिया है बल्कि ऐसी आग सुलाई है जिस पर विरोधी पार्टी रोटी सेकने का मौका हरगिज नहीं चुकना चाहेगी। अगर कांग्रेस पार्टी(congress party) दलबद कानून को लागू कर अपने ही पार्टी के खिलाफ राज्यसभा सीट चुनाव में वोट करने वालों को निष्काषित करती है तो यूं कदम सही मायने में कांग्रेस सरकार को कमजोर करने वाला साबित हो सकता है।
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अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्तमान में कांग्रेस के 40 विधायक है जिनमें से क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 विधायकों को दलबदल कानून के तहत निष्कासित(Disqualification) करती है तो उसके पास 36 का आंकड़ा रह जाएगा। यह आंकड़ा हरगिज कांग्रेस के हित में नहीं होगा। ऐसे में कांग्रेस चाह कर भी क्राॅस वोटिंग करने वाले कांग्रेस विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाने की हरगिज हिम्मत नहीं दिखाएगी।