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3:52 pm, Sunday, 20 April 2025

औषधीय पौधे कसमल के वजूद पर मंडराया खतरा

साहो घाटी में लोग चंद पैसों की खातिर इसे उखाड़ने में जुटे

ठेकेदारों को बेच कर मोटी कमाई करने में जुटे

चम्बा, 28 फरवरी (विनोद): साहो घाटी में मौजूद कसमल पर खतरे के बाद मंडरा रहें हैं। वन विभाग ने अगर इसके प्रति अपनी गंभीरता नहीं दिखाई तो विल्पुत होने की कतार पर पहुंच चुका यह औषधीय गुणाें से भरपूर इस पौधे को इन दिनों साहो घाटी में उखाड़ने का काम जोरशोर से चला हुआ है।

इसकी वजह यह है कि इन दिनों यहां ठेकेदारों ने डेरा जाम रखा है। यह ठेकेदार स्थानीय लोगों से कसमल खरीद रहें हैं और चंद पैसों की खातिर कई लोग वन भूमि पर मौजूद इस औषधीय पौधों को ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में बुरी तरह से उखाड़ने में जुटे हैं।

कसमल के औषधीय गुण

आयुर्वेद में कसमल को इसके गुणों के कारण औषधीय पौधा बताया गया है। इसकी जड़ों से लेकर इसके फूल व पत्तों का प्रयोग दवां निर्माण में किया जाता है। हद‍्य व मधुमेह रोग से संबन्धित दवाईयों के निर्माण में इस पौधे का प्रयोग किया जाता है। इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी बेहद मांग है।

इसके लिए वे उन सब बातों का पूरी तरह से नजर अंदाज कर रहें हैं जिन्हें इन पौधों को उखाड़ते वक्त पूरी तरह से अमलीजामा पहनाएं जाना जरूरी है। जानकारी मुताबिक सरकारी आदेशों के अनुसार कसमल को सिर्फ निजी भूमि से ही उखाड़ा जा सकता है और इसमें भी उक्त निजी भूमि में मौजूद कुल मात्रा से महज 40 प्रतिशत को ही उखाड़ने की अनुमति है। परंतु साहो घाटी में इसके बिल्कुल विपरित स्थिति देखने को मिल रही है। यहां कई लाेग ज्यादा से ज्यादा पैसा करने के लिए वन भूमि पर मौजूद कसमल को निशाना बना रहें है। बिना किसी रूकावट के अगर इसी तरफ से यह कारोबार चलता रहा तो जल्द ही यह घाटी भी सलूणी घाटी की भांति कसमल से मुक्त हो जाएगा। गौरतलब है कि बीते वर्ष जिला चम्बा के सलूणी उपमंडल पर यह कसमल उखाड़ों अभियान पूरेजोर शोर से चला था और हजारों एकड वन भूमि से कसमल को लोगों ने उखाड़ कर बेच दिया था।

भूस्खलन के मामलों में बढ़ौतरी के साथ मवेशियों के चारे की पेश आ सकती है परेशानी

जानकारों की माने तो कसमल को जिस तरह से उखाड़ा जा रहा है उसकी वजह से भूस्खलन के मामलों में बढ़ौतरी हो सकती है तो साथ ही मवेशियों के चारे की परेशानी का पशुपालकों को सामना करने मे लिए मजबूर होना पड़ सकता है। कसमल की गहरी व लंबी जड़ें अक्सर मिट़टी को पकड़े रखती है। जिस वजह से भूस्खलन नहीं होता है।

क्या कहना है वन विभाग का

यह बात सही है कि इन दिनों साहो क्षेत्र में कसमल उखाड़े का काम चला हुआ है। लेकिन इस कार्य काे सिर्फ निजी भूमि पर ही अंजाम देने की अनुमित है। उससे भी संबन्धित दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं। अगर कोई भी व्यक्ति जारी आदेशों की अवहेलना करते हुए पाया जाता है तो वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारी को इस मामले पर कड़ी कार्यवाही करने के आदेश जारी कर दिए है।

निशांत मंडोत्रा वन मंडलाधिकारी चम्बा

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VINOD KUMAR

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औषधीय पौधे कसमल के वजूद पर मंडराया खतरा

Update Time : 09:10:25 am, Sunday, 28 February 2021

साहो घाटी में लोग चंद पैसों की खातिर इसे उखाड़ने में जुटे

ठेकेदारों को बेच कर मोटी कमाई करने में जुटे

चम्बा, 28 फरवरी (विनोद): साहो घाटी में मौजूद कसमल पर खतरे के बाद मंडरा रहें हैं। वन विभाग ने अगर इसके प्रति अपनी गंभीरता नहीं दिखाई तो विल्पुत होने की कतार पर पहुंच चुका यह औषधीय गुणाें से भरपूर इस पौधे को इन दिनों साहो घाटी में उखाड़ने का काम जोरशोर से चला हुआ है।

इसकी वजह यह है कि इन दिनों यहां ठेकेदारों ने डेरा जाम रखा है। यह ठेकेदार स्थानीय लोगों से कसमल खरीद रहें हैं और चंद पैसों की खातिर कई लोग वन भूमि पर मौजूद इस औषधीय पौधों को ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में बुरी तरह से उखाड़ने में जुटे हैं।

कसमल के औषधीय गुण

आयुर्वेद में कसमल को इसके गुणों के कारण औषधीय पौधा बताया गया है। इसकी जड़ों से लेकर इसके फूल व पत्तों का प्रयोग दवां निर्माण में किया जाता है। हद‍्य व मधुमेह रोग से संबन्धित दवाईयों के निर्माण में इस पौधे का प्रयोग किया जाता है। इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी बेहद मांग है।

इसके लिए वे उन सब बातों का पूरी तरह से नजर अंदाज कर रहें हैं जिन्हें इन पौधों को उखाड़ते वक्त पूरी तरह से अमलीजामा पहनाएं जाना जरूरी है। जानकारी मुताबिक सरकारी आदेशों के अनुसार कसमल को सिर्फ निजी भूमि से ही उखाड़ा जा सकता है और इसमें भी उक्त निजी भूमि में मौजूद कुल मात्रा से महज 40 प्रतिशत को ही उखाड़ने की अनुमति है। परंतु साहो घाटी में इसके बिल्कुल विपरित स्थिति देखने को मिल रही है। यहां कई लाेग ज्यादा से ज्यादा पैसा करने के लिए वन भूमि पर मौजूद कसमल को निशाना बना रहें है। बिना किसी रूकावट के अगर इसी तरफ से यह कारोबार चलता रहा तो जल्द ही यह घाटी भी सलूणी घाटी की भांति कसमल से मुक्त हो जाएगा। गौरतलब है कि बीते वर्ष जिला चम्बा के सलूणी उपमंडल पर यह कसमल उखाड़ों अभियान पूरेजोर शोर से चला था और हजारों एकड वन भूमि से कसमल को लोगों ने उखाड़ कर बेच दिया था।

भूस्खलन के मामलों में बढ़ौतरी के साथ मवेशियों के चारे की पेश आ सकती है परेशानी

जानकारों की माने तो कसमल को जिस तरह से उखाड़ा जा रहा है उसकी वजह से भूस्खलन के मामलों में बढ़ौतरी हो सकती है तो साथ ही मवेशियों के चारे की परेशानी का पशुपालकों को सामना करने मे लिए मजबूर होना पड़ सकता है। कसमल की गहरी व लंबी जड़ें अक्सर मिट़टी को पकड़े रखती है। जिस वजह से भूस्खलन नहीं होता है।

क्या कहना है वन विभाग का

यह बात सही है कि इन दिनों साहो क्षेत्र में कसमल उखाड़े का काम चला हुआ है। लेकिन इस कार्य काे सिर्फ निजी भूमि पर ही अंजाम देने की अनुमित है। उससे भी संबन्धित दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं। अगर कोई भी व्यक्ति जारी आदेशों की अवहेलना करते हुए पाया जाता है तो वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारी को इस मामले पर कड़ी कार्यवाही करने के आदेश जारी कर दिए है।

निशांत मंडोत्रा वन मंडलाधिकारी चम्बा