इस कविता ने खोली पंचायत चुनावों की पोल

चंद दिनों के बाद पंचायत चुनावों का बिगुल बजने वाला है लेकिन इससे पहले ही पंचायत प्रतिनिधि की चाह रखने वाले अपने अपने स्तर पर जुगाड़ करने में जुट गए हैं। हम सब भलीभांति यह जानते हैं कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने में पंचायती राज की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रहती है लेकिन मनरेगा और अन्य कई महत्वपूर्ण व जनकल्याणकारी योजनाओं के लागू होने के बाद से पंचायत प्रतिनिधि का पद न सिर्फ प्रतिष्ठा तक सीमित रह गया है बल्कि इसे अब कम मेहनत व कम समय में धन अर्जित करने वाला माना जाने लगा है। यही वजह है कि जब भी पंचायत निकायों के चुनाव आते हैं तो हर बार उम्मीदवारों की सूची लंबी होती जाती है। इस युवक की यह कविता न सिर्फ पंचायत चुनावों के असली चेहरे को सामने लाती है बल्कि यह कविता हमें यह सीख भी देती है कि किस प्रकार के लोगों से हमें सजग रहना है।