चंबा, ( विनोद ): अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेला के सफल आयोजन के नाम पर चंबा चौगान बेदर्दी से रोंदा जा रहा है लेकिन अफसोस की बात है कि जिला चंबा के जनप्रतिनिधियों सहित यहां के प्रबुद्ध नागरिक मूकदर्शक बने हुए है। यही नहीं आए दिन चंबा चौगान को बचाने के नाम पर समय-समय पर आवाज बुलंद करने वाली सामाजिक संस्थाएं भी चुपचाप सब कुछ होता देख रही है।
चंबा की इस ऐतिहासिक धरोहर को भारी भरकम वाहनों के पहियों तक बड़ी बेदर्दी के साथ रोंदा जा रहा है। जिस चंबा चौगान में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व राज्यपाल तक का वाहन प्रवेश नहीं करता है उस मखमली हरी भरी घास से भरे चौगान का बीते एक सप्ताह से इस कदर रोंदा जा रहा है कि भी से चौगान के सीने पर भारी भरकम वाहनों द्वारा दिए गए जख्म साफ दिखाई दे रहे हैं।
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मिंजर मेला में बालीबुड व पंजाबी गायकों को बुलाने के लिए पानी की तरफ पैसा बहाने के लिए इस धरोहर को हर वर्ष नीलाम किया जाता है। जानकारी के अनुसार माननीय उच्च न्यायालय ने इस बार इस धरोहर में व्यापारिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए 15 दिनों का समय दिया है लेकिन बाद में बीते वर्ष की भांति यह समय अवधि बढ़ती है तो फिर इस चौगान का तो भगवान ही मालिक है।
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जिस चौगान में वर्ष के 6 माह चंबा का कोई भी व्यक्ति पांव तक नहीं रखता है उस चौगान को इस दिनों रौंदने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। राज कुमार, प्रीतम सिंह, चमन लाल व मनोहर का कहना है कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि चौगान में इतने बड़े-बड़े वाहनों को प्रवेश करने की अनुमति किसने दी है। लोगों का कहना है कि यह दौर यूं ही जारी रहा तो यह धरोहर चंद वर्षों के बाद पूरी तरह से बर्बाद नजर आएगी और तब पछताने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा।