चंबा में मोहिनी व भस्मासुर के बीच हुआ जोरदार द्वंद

वर्षों से चली आ रही धार्मिक परंपरा का हर्षोल्लास के साथ आयोजन हुआ

चंबा, ( रेखा शर्मा ): हिमाचल के जिला चंबा में मोहिनी व भस्मासुर के बीच हुए द्वंद का प्राचीन परंपरा के रूप में आयोजन किया गया। इस प्राचीन धार्मिक परंपरा का जिला मुख्यालय के मुख्य चौराहे में आयोजन किया गया।

 

इस मौके के सैंकड़ों लोग साक्षी बने। चंबा में आज भी पितृपक्ष के शुरू होने से ठीक पहले भगवान विष्णु द्वारा भस्मासुर को मारने के दृश्य को चंबा की प्राचीन धार्मिक परंपरा के रूप में रूपांतरित किया जाता है।

 

एक तरफ जहां नगर के बीचों बीच मौजूद भगवान श्रीलक्ष्मीनाथ मंदिर से भगवान विष्णु के मोहिनी रूप में सजी आदमकद काष्ट मूर्ति को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ चंबा के मुख्य चौक में लाया जाता है तो उसी समय नगर के बीच बीच मौजूद भगवान हरिराय के मंदिर से भस्मासुर की शोभायात्रा वाद्य यंत्रों के साथ निकलती है।
जैसे ही चंबा के मुख्य चौक पर दोनों का आमना सामना होता है तो लड़ाई के स्वरूप में दोनों के बीच टकराव करवाया जाता है जिसे मोहिनी व भस्मासुर का द्वंद कहा जाता है। इस द्वंद में पाप यानी भस्मासुर की पराजय होती है तो मोहिनी रूप पूण्य की जीत का जश्न मनाया जाता है।

दोनों के बीच टकराव होने के बाद मोहिनी की आदमकद काष्ट मूर्ति को चंपावती मंदिर में ले जाया जाता है और वहां विशेष पूजा अर्चना होती है जबकि भस्मासुर की पूरे नगर के परिक्रमा करवाई जाती है। इस परंपरा को पाप व पूण्य व के साथ बुराई पर अच्छाई का प्रतिक भी माना जाता है।

 

चंबा के इस धार्मिक परंपरा के पूरा होने के बाद ही पितृपक्ष शुरू हो जाता है। इस प्राचीन धार्मिक परंपरा का आज भी पूरे उत्साह व मान्यता के अनुरूप आयोजन किया जाता है। इसी के तहत चंबा के मुख्य चौराहे पर भगवान विष्णु के मोहिनी रूप व भस्मासुर के बीच टकवार करवाया गया और इस धार्मिक परंपरा का निर्वाहन किया गया।