मणिमहेश यात्रा के लंगरों पर संकट के बादल मंडराए

प्रशासन द्वारा निर्धारित की गई 15 हजार रुपए सेनिटेशन फीस को समितियों ने जजिया कर करार दिया

भरमौर, (ठाकुर): मणिमहेश यात्रा के दौरान लगने वाले लंगरों पर संकट के बादल मंडारने लगे हैं क्योंकि लंगर आयोजन समितियों ने प्रशासन को 15 हजार रुपए सेनिटेशन फीस देने से मना कर दिया है। ऐसे में इस शर्त के पूरा नहीं करने वाली संस्थाए यात्रा के दौरान लंगर नहीं लगा सकेंगी।

 

यही वजह रही कि भरमौर प्रशासन की इस शर्त के खिलाफ देश के विभिन्न राज्य से आए लंगर आयोजन समितियों के पदाधिकारियों व सदस्यों ने इस शर्त के खिलाफ सरकार व प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इन लंगर आयोजन समितियों ने साफ कह दिया है कि अगर भरमौर प्रशासन ने अपने इस निर्णय को वापिस नहीं लिया तो कोई भी संस्थान इस बार मणिमहेश में लंगर नहीं लगाएगी और न ही किसी को लगाने देगी।

 

यह स्थिति उस समय पैदा हुई जब मणिमहेश लंगर व्यवस्था को लेकर भरमौर प्रशासन व लंगर आयोजन समितियों के बीच आयोजित हुई बैठक चल रही थी। भरमौर प्रशासन द्वारा संस्थाओं को सेनिटेशन फीस के रूप में 15 हजार रुपए अग्रिम राशि के रूप में जमा करवाने बारे बताया गया।
प्रशासन के इस निर्णय को लंगर लगाने वाली संस्थाओं ने जहां जजिया कर की संज्ञा दी तो साथ ही उन्होंने कहा कि हर वर्ष प्रशासन प्रत्येक लंगर लगाने वाली प्रत्येक संस्था से 10 हजार रुपए सेनिटेशन के नाम पर लेता है और इसे रिफंडेबल बताया जाता है लेकिन यात्रा समाप्त होने के बाद आज तक उक्त राशि नहीं लौटाई गई है।

 

उन्होंने कहा कि अब भरमौर प्रशासन ने सेनिटेशन फीस के रूप में प्रत्येक लंगर समिति से 15 हजार रुपए अग्रिम राशि के रूप में जमा करवाने को कहा है जो उन्हें मंजूर नहीं है। यही वजह रही कि आयोजित बैठक को बीच में ही छोड़ कर लंगर समितियों के सभी प्रतिनिधि नाराज होकर सभागार से बाहर आ गए।

 

ये भी पढ़ें: कांग्रेस नेता कुलदीप पठानिया ने मुख्यमंत्री को यह सलाह दी।

 

बैठक को बीच में छोड़ कर लंगर समितियों ने भरमौर के पट्टी बस स्टैंड पर प्रशासन व सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लंगर समितियों के पदाधिकारियों में रितेश गोयल, मनोज गोयल, विपिन महाजन, मोती जोशी, अरुणा देवी आदि ने कहा कि वे हरगिज जजिया टैक्स नही देंगे।

 

ये भी पढ़ें: प्रतिबन्धित प्लास्टिक को लेकर डीसी ने यह आदेश दिए।

 

उन्होंने कहा कि प्रशासन ये राशि मांगता है तो वे लंगर ही नही लगाएंगे और न ही लंगर लगने देंगे। उन्होंने कहा कि वे पंजाब,हरियाणा, दिल्ली,उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभिन्न क्षेत्रों से लोक सेवा भावना में पिछले बीस से लेकर तीस तीस वर्षों से लंगर लगा कर शिव भक्तों की सेवा करते हैं वही प्रशासन का भी यात्रा के सफल आयोजन में हर सम्भव सहयोग करते है,मगर भरमौर प्रशासन हमेशा से अपनी शर्तें थोपता आया है।

 

उन्होंने कहा कि लंगर समितियों को पेयजल, शौचालय, पार्किंग तथा उनके सामान या वाहनों की सुरक्षा में मदद करनी चाहिए लेकिन इसके उल्ट यहां लंगर समितियों को ही शौचालय बनाने की शर्त थोप दी जाती है। जिन लंगर के प्लाटों के समीप जगह होती है, वहां तो लंगर समितियां शौचालय बना सकती है मगर जहां जगह ही नहीं होती, वे कैसे और कहां पांच-पांच शौचालय बनाएंगे।

 

उन्होंने कहा कि हड़सर, लाहल, भरमौर व सावनपुर ये ऐसे स्थान हैं जहां सड़क के समीप लोगों के घर है। वहां पर सिर्फ लंगर लगाने की जगह ही शेष होती है। उन्होंने कहा कि प्रशासन लंगर समितियों से तो हर सहयोग मांगता है मगर खुद न तो शौचालय और न ही उपयुक्त पेयजल व्यवस्था लंगर समितियों को मुहैया करवाता है।

 

लंगर समितियों के बाहरी राज्यों वाले नंबर के वाहनों के जानबूझकर कर चालान काटे जाते है। उन्होंने कहा कि वे प्रशासन को किसी वस्तु के रूप में कुछ भी देने को तैयार है मगर सेनिटेशन फीस के नाम पर मांगी जा रही पन्द्रह हजार रुपये की राशि कभी नहीं देंगे चाहे इसके बदले इस बार लंगर नहीं लगाना पड़े तो कोई बात नहीं।