2012 में बगावत करके साढ़े 11 हजार वोट हासिल कर दिखाया था दमखम
चंबा, (विनोद): कांग्रेस प्रदेश सचिव पद पर राज सिंह ठाकुर की ताजपोश हुई है। इससे यह बात साफ है कि चंद माह होने वाले प्रदेश विधानसभा चुनाव में वह अहम भूमिका निभाने वाले है। यह बात इसलिए पैदा होती है क्योंकि राजनीति के क्षेत्र में राज सिंह ठाकुर यूं तो बीते करीब 23 वर्षों से जमे हुए है लेकिन यह पहला ऐसा मौका है जब उसे कांग्रेस ने प्रदेश स्तर पर जिम्मा सौंपा गया है।
राज सिंह ठाकुर जिला चंबा की राजनीति में अपनी पहचान बना चुका है इसमें कोई दोराय नहीं है लेकिन हर्ष महाजन के खास कहे जाने वाले ठाकुर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1999 में कांग्रेस के जिला सचिव के तौर पर की।
पहली बार पंचायती चुनाव मैदान में वर्ष 2000 में बतौर बीडीसी उतरे और पहले ही चुनाव में न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि विकास खंड मैहला के बीडीसी अध्यक्ष पद को अपने नाम किया। 2005 में दूसरी बार बीडीसी का चुनाव जीता लेकिन इस बार बीडीसी उपाध्यक्ष बने क्योंकि इस बार अध्यक्ष पद आरक्षित था।
2010 से 2015 तक राज सिंह ठाकुर जिला परिषद सदस्य के तौर पर ग्रामीण राजनीति में सक्रिय रहे। संगठन की बात करे तो कांग्रेस पार्टी ने जिला कांग्रेस महासचिव पद पर 2005 में मनोनित किया तो 2003 से 2008 तक खेत किसान संगठन कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद पर काबिज रहे।
राजनीति के क्षेत्र में राज सिंह ठाकुर ने उस समय बड़ी छलांग मारी जब कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर वर्ष 2012 में आजाद प्रत्याशी के तौर पर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चंबा से चुनाव लड़ा और अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में साढ़े 11 हजार वोट हासिल कर कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव हारने में अहम भूमिका निभाकर अपनी मजबूत राजनीति का पकड़ का पार्टी को बखूबी एहसास करवा दिया।
इसके लिए पार्टी ने राज सिंह को पार्टी से निष्काषित कर दिया लेकिन महज चंद महिना के बाद ही वर्ष 2013 में पार्टी ने उन्हें फिर से पार्टी में शामिल कर लिया। इस तमाम बातों पर नजर दौड़ाए तो यह साफ पता चलता है कि राज सिंह ठाकुर ने जिला चंबा के उन युवा कांग्रेसी नेताओं की पंगति में पहले स्थान बना लिया है जिनके रूप में कांग्रेस अपना भविष्य तलाशने की कोशिश कर सकती है।