2 स्कूलों के बच्चों का भविष्य खतरे में

अभिभावकों ने इसके लिए सड़क पर उतरने की बात कही

चम्बा, (विनोद): ग्राम पंचायत बसोधन के दायरे में आने वाले 2 स्कूल के बच्चों का भविष्य खतरे में है। इसकी वजह यह है कि यह दोनों स्कूल अध्यापकों की कमी से जूझ रहें है। इस कमी को दूर करवाने के लिए अब स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है। 
मंगलवार को अपनी इस मांग को पूरा करवाने के लिए स्थानीय लोगों का एक प्रतिनिधि मंडल डी.सी. चंबा से मिला और इस पूरी स्थिति से उन्हें अवगत करवाते हुए इस संदर्भ में एक मांग पत्र सौंपा।
अपने मांग पत्र में इस प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि अध्यापकों की चल रही कमी के कारण इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले 50 बच्चों का भविष्य खतरे में बना हुआ है। उनका कहना है कि जब नींव ही कच्ची होगी तो उस पर मजबूत इमारत का निर्माण कैसे हो सकता है। 
ज्ञापन के माध्यम से ग्रामीणों ने जो जानकारी प्रशासन को दी है उसके अनुसार चंबा विधानसभा क्षेत्र के दायरे में आने वाली ग्राम पंचायत बसोधन के राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला भौंई बीते वर्ष के सितंबर माह से महज एकलौते अध्यापक के सहारे ही चला हुआ है। 
उपरोक्त स्कूल में 50 से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहें है। अध्यापकों की कमी के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई को सही ढंग से अंजाम देने में भारी मानसिक परेशानी उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बीते बीते 8 माह से इस स्कूल की यही स्थिति बनी हुई है जिस वजह से अब इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों के अभिभावक भी अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित है।
इस ग्राम पंचायत के दायरे में आने वाली राजकीय प्राथमिक पाठशाला बसोधन में तैनात अध्यापकों का तबादला तो कर दिया गया लेकिन उक्त स्कूल ने रिक्त पड़े इन पदों को अभी तक भरा नहीं गया। वर्तमान में इस स्कूल की स्थिति यह है कि अब इस स्कूल में स्थाई रूप से कोई भी अध्यापक तैनात नहीं है। 
इस स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को काम चलाऊ नीति के आधार पर हांका जा रहा है। दूसरे स्कूलों के अध्यापकों को बारी-बारी से डेप्यूटेशन के आधार पर इस स्कूल में तैनात किया जा रहा है। ऐसे में जहां इस स्कूल की शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतरी पड़ी है तो साथ ही जिस स्कूल से दूसरे अध्यापकों को यहां डेप्यूटेशन के आधार पर तैनात किया जाता है उस स्कूल की शिक्षा व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। 

ग्रामीणों ने उपायुक्त को सौंपे अपने ज्ञापन में यह भी लिखा है कि इन स्कूलों की चरमराई शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अगर सरकार व संबन्धित विभाग ने शीघ्र प्रभावी कदम नहीं उठाए तो उन्हें मजबूर होकर सरकार व विभाग के खिलाफ धरना देने के लिए सड़क पर उतरना पडेगा।

 

ग्रामीणों ने अपने ज्ञापन में सरकार से यह आग्रह किया है कि उन्हें बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए इन स्कूलों में शीघ्र अध्यापकों की स्थाई रूप से नियुक्ति की जाए ताकि उनके बच्चें सही मायने सरकारी शिक्षा व्यवस्था का लाभ लेकर अपने भविष्य को उज्जवल बनाने में सफल हो सके।