बुरी हुई हार अपनी भी गवाई और जमानत भी नहीं बचा पाई

जयराम को लेने होंगे कड़े निर्णय तो मंत्रियों व विधायकों के रिपोर्ट कार्डों की करनी होगी समीक्षा

चंबा, (विनोद कुमार): प्रदेश उपचुनावों के परिणाम जैसे ही सामने आए तो लोगों की जुबान पर एकदम यह बात आई कि “बुरी हुई हार अपनी भी गवाई और जमानत भी नहीं बचा पाई”। मंगलवार का दिन प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए अमंगलकारी साबित हुआ।
प्रदेश के एक संसदीय सीट के साथ विधानसभा की तीन सीटों पर हुए उपचुनावों में भाजपा को बुरी तरह से मुंह की खानी पड़ी है। प्रदेशवासियों को ऐसा कहने के लिए लोग इसलिए मजबूर हुए क्योंकि फतेहपुर व अर्की तो पहले से ही कांग्रेस की थी लेकिन जुब्बल-कोटखाई तो भाजपा की अपनी थी परंतु वहां पर तो भाजपा अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई।

 मंडी ने आधे मन से दिया साथ

बुरी हुई हार

जहां तक मंडी लोकसभा सीट की बात है तो यह भी भाजपा की सीट थी। पिछले लोकसभा चुनावों में इस सीट पर भाजपा ने जीत का रिकार्ड कायम किया था। भाजपा सांसद रामस्वरूप शर्मा की आकस्मिक मौत के चलते इस सीट पर भी लोकसभा का उपचुनाव हुआ लेकिन भाजपा इस सीट को बचाने में कामयाब नहीं हो पाई।
यह ऐसी एकलौती सीट थी जिसे सीधे मुख्यमंत्री के साथ जोड़ कर देखा जा रहा था। ऐसा इसलिए था क्योंकि मुख्यमंत्री स्वयं मंडी जिला के है। अब तो चुनाव परिणामों के बाद तस्वीर बनी है उसमें कांग्रेस के खुशी के रंग बेहद गहरे दिख रहें हैं तो सत्ताधारी भाजपा के रंग पूरी तरह से फिके नजर आ रहें है।
चंद महिनों बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बीच इस प्रकार के परिणाम जो इन चुनावों के माध्यम से सामने आए है उसे लेकर राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक भाजपा को गहरा मंथन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

बुरी हुई हार

इन विधानसभा चुनावों की विशेष बात यह रही कि पहली बार प्रदेश में वीरभद्र के बगैर उपचुनाव हुए तो वहीं पहली बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अगुवाई में यह चुनाव लड़े गए। बीते विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने प्रो. प्रेम कुमार धूमल को अपना चेहरा बनाया था। हालांकि धूमल स्वयं चुनाव हार गए थे लेकिन पार्टी को सत्ता के सिंहासन पर विराजमान करने में वह पूरी तरह से सफल हुए थे।
ऐसे में प्रदेश के मंडी लोकसभा व तीन विधानसभा चुनावों में पूरी तरह से भाजपा के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सबसे प्रमुख चेहरा व स्टार प्रचार रहें। जिस तरह से मंडी के विकास को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बीते चार वर्षों के दौरान दिन-रात एक की और विकास के कई तोहफे दिए उस तरह से मंडी में उनका जादू नजर नहीं आया।
यह तो पहले से ही संभावना जताई जा रही कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के अलावा मंडी जिला से अलग अन्य जिलों में कांग्रेस को भावनाओं की लहरों पर बढ़त का साथ मिल सकता है लेकिन मंडी जिला से भाजपा के पक्ष में जो तूफान उठेगा उससे कांग्रेस शायद पा न पा सके, परंतु ऐसा कुछ होता नजर नहीं आया।

कांग्रेस को परिवारवाद से फायदा मिला तो भाजपा को नुक्सान

कांग्रेस ने फतेहपुर से सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया को चुनावी मैदान में उतारा। कांग्रेस ने इसके लिए परिवारवाद जैसी कोई बात नहीं कही लेकिन भाजपा ने जुब्बल-कोटखाई की सीट पर परिवार का राग अलापते हुए वहां के दिवंगत भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा का पता काट दिया। भाजपा को उम्मीद थी कि उनका यह राग लोगों को पसंद आएगा लेकिन परिणाम उसके उल्ट हुआ।
भाजपा की महिला प्रत्याशी अपनी जमानत तक बचाने में सफल नहीं हो पाई जबकि चेतन बरागटा दूसरे नंबर पर रहे। इससे यह पता चलता है कि प्रदेश के जनता ने भाजपा को यह कड़ा संदेश दे दिया है कि उनके लिए परिवारवाद का होना या न होना कोई मायने नहीं रखता बल्कि उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर कौन चलता है यह बात उनके लिए महत्व रखती है।
मंडी संसदीय सीट की बात करे तो कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की इस संसदीय सीट पर मजबूत पकड़ की समीक्षा करते हुए उनके परिवार को चुनावी मैदान में प्रतिभा सिंह के रूप में उतारा। कांग्रेस ने जनभावनाओं को वोट में बदलने के लिए इस चुनावी जंग को श्रद्धांजलि का नाम दिया। भाजपा के पास इस बात का जवाब नहीं था। हालांकि भाजपा ने कारगिल के इस जांबाज हीरो के पक्ष में जमकर प्रचार किया लेकिन वह प्रचार लोगों के दिलों को छू नहीं पाया। 

भाजपा के लिए मंथन के साथ कड़े निर्णय लेने का समय

इसमें कोई दोराय नहीं है कि जयराम एक बेहद सरल स्वभाव व मिलनसार व्यक्तित्व के धनी है लेकिन बीते चार वर्षों के दौरान उन्होंने जो कार्यशैली अपनाए रखी उसमें बदलाव करने का समय आ गया है। इस बुरी हार को ध्यान में रखते हुए जयराम सरकार को आने वाले समय में कुछ कड़े निर्णय लेने होंगे तो साथ ही अपने मंत्रियों व विधायकों का रिपोर्ट कार्ड भी जांचना होगा। ऐसा किए बगैर आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने मिशन रिपीट को क्या पूरा कर पाएगी? यह अपने आप में ही एक बड़ा सवाल है।
ये भी पढ़ें…….
. भाजपा को भरमौर विधानसभा क्षेत्र से मुंह की खाई।