डल्हौजी का नाम बदलने का जिन्न फिर बोतल से बाहर निकला

इस बार हिमाचल ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ने इसे अंजाम दिया

चंबा, (विनोद): हिमाचल के पर्यटन स्थल डल्हौजी का नाम बदलने का जिन्न फिर बोतल से बाहर निकला है। इस बार इसे बोतल से बाहर निकालने का श्रेय हिमाचल के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर का जाता है। उन्होंने ऊना में एक बयान देते हुए कहा कि वह डल्हौजी का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस रखने के मामले को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से बात करेंगे।
यह पहला मौका नहीं है जब डल्हौजी का नाम बदलने की बात कही गई है। इससे पहले भी कई बार इस तरह की बाते सामने आ चुकी है लेकिन अबकी बार प्रदेश कैबिनेट मंत्री ने यह बात कही है तो इससे यह महसूस होता है कि चंद महीनों के बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए कही भाजपा डल्हौजी का नया नामकरण करने की योजना तो नहीं बना रही है।
यह बात और है कि जिला चंबा के किसी भी दल के किसी भी नेता ने अब तक इस प्रकार की कोई बात नहीं कही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि डल्हौजी को लेकर प्रदेश कैबिनेट मंत्री को आखिर क्या याद आई। कहीं ऐसा तो नहीं भाजपा द्वारा अंदर खाते में लिए गए इस निर्णय पर जनता की राय जानने के लिए कैबिनेट मंत्री को आगे किया गया हो।
हालांकि इसके पीछे मंत्री ने जो आधार रखा है वह बिल्कुल सही है लेकिन कही ऐसा तो नहीं कि डल्हौजी के नाम से भी भाजपा को कही गुलामी की बू तो नहीं आने लगी है। वास्तव में कुछ ऐसा है तो फिर पहाड़ों की रानी शिमला के नाम को भी बदला जा सकता है क्योंकि यह नाम भी अंग्रेजों की देन है।
इस पूरे मामले को लेकर लोगों के मन में विशेषकर डल्हौजी के होटल व्यवसायियों के मन में यह सवाल डर पैदा कर देता है कि नया नाम मिलने से कही डल्हौजी पर्यटन मानचित्र पर अपना वज़ूद न खो दे।
नेता जी के ब्यान का आधार
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी जीवन का कुछ समय डल्हौजी में गुजारा है। 1937 में जब ब्रिटिश राज के खिलाफ आजादी की लड़ाई के चलते नेताजी जेल में बंद थे, तो उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था।

ब्रिटिश सरकार ने उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें पैरोल पर रिहा किया था। इस दौरान नेताजी स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए डल्हौजी आए थे। प्रदेश कैबिनेट मंत्री कंवर ने कहा कि इसलिए डल्हौजी का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर होना चाहिए।
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