जिला की दम तोड़ती हस्तकला के लिए चंबयाल परियोजना संजीवनी बनेगी

जिले में चिन्हित क्राफ्ट विलेज में भी शिल्पकारों को दी जाएगी मदद और मार्गदर्शन 
चंबा, 27 दिसंबर (रेखा): चंबा जिला में कार्यान्वित की जा रही चंबयाल परियोजना के साथ विभिन्न पारंपरिक हस्तशिल्पों के साथ जुड़े शिल्पकारों को शिल्प आधारित स्वयं सहायता समूह के आधार पर शामिल किया जाएगा। यह स्वयं सहायता समूह अपने मुख्य प्रतिनिधियों का चयन करेंगे। इन प्रतिनिधियों से गठित होने वाली पंजीकृत सोसाइटी चंबयाल परियोजना का संचालन करेगी। उपायुक्त डीसी राणा ने यह बात चंबयाल परियोजना के अपेक्षित परिणाम को प्राप्त करने के लिए विभिन्न शिल्पकारों के साथ भूरी सिंह संग्रहालय के सभागार में आयोजित संवाद बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उपायुक्त ने कहा कि प्रशासन इस परियोजना में समन्वय और सहयोग का कार्य करेगा ताकि परियोजना अपने व्यवहारिक मुकाम को आने वाले समय में हासिल कर सके और जिला के तमाम शिल्पकार आर्थिक तौर पर स्वाबलंबी बन सकें।उपायुक्त ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि चंबा जिला के शिल्प और कला बहुत समृद्ध रही है। लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अब मौजूदा बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादों को तैयार करने की आवश्यकता है। इन उत्पादों को पर्यटन और पर्यटक के साथ जोड़ना इस परियोजना की प्राथमिकता रहेगी ताकि यहां के उत्पाद ना केवल देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के माध्यम से विस्तार पाएं बल्कि मांग के मुताबिक उत्पादन और आपूर्ति भी निरंतर बनी रहे। इन उत्पादों में मौलिकता और गुणवत्ता के अलावा एकरूपता भी होनी चाहिए ताकि उनका अपना एक ब्रांड उभरकर सामने आए। उत्पाद को तैयार करने में उसके आकार और दाम पर भी ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि पर्यटक और आम ग्राहक इन्हें आसानी के साथ खरीद सकें। जिस उत्पाद को जितना अधिक मात्रा में खरीदा जाएगा उसकी मांग में उतनी ही बढ़ोतरी होती रहेगी। उपायुक्त ने शिल्पकारों से नई प्रतिभाओं को तराशने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नई प्रतिभाएं जब इसमें जुड़ेंगी तभी भविष्य में मांग की आपूर्ति के लिए जरूरत के मुताबिक हुनरमंद हाथ उपलब्ध होंगे और जिला का शताब्दियों पुराना शिल्प आने वाली कई पीढ़ियों तक जीवित रह पाएगा।

उपायुक्त ने यह भी बताया कि शिल्पकारों को समुचित प्रशिक्षण की व्यवस्था भी रहेगी जिसमें मास्टर ट्रेनर शिल्प की बारीकियां सिखाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में तैयार किए जाने वाले विभिन्न उत्पादों की मार्केटिंग के लिए तीन बिक्री केंद्र की सुविधा मुहैया करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खज्जियार में बिक्री केंद्र तैयार किया जा चुका है। जबकि चंबा शहर में रंग महल स्थित बिक्री केंद्र के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। इसी तरह एक बिक्री केंद्र डलहौजी में भी रहेगा। चंबा रुमाल से जुड़ी कलाकार द्वारा रुमाल तैयार करने में डिजाइन की दिक्कतें सामने रखने पर उपायुक्त ने आश्वस्त किया कि चंबा रुमाल के लिए विभिन्न डिजाइन तैयार करने की भी इस परियोजना के तहत व्यवस्था की जाएगी। भूरी सिंह संग्रहालय परिसर में ही एक डिजाइन स्टूडियो स्थापित करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चंबा में पीढ़ियों से किए जा रहे लेदर व्यवसाय में भी अब चंबा चप्पल के अलावा कुछ अन्य आकर्षक उत्पाद तैयार करने चाहिए जिनकी ना  केवल पर्यटकों में बल्कि लोकल डिमांड भी पूरा साल बनी रहे। चंबा चप्पल के उद्यम से जुड़े स्थानीय उद्यमी ने बताया कि चंबयाल परियोजना के शुरू होने पर अब उन शिल्पकारों के लिए भी आस बंधी है जो इस व्यवसाय से अलग हो चुके थे। कुछ शिल्पकारों ने अब वापसी भी कर ली है। उपायुक्त ने कहा कि जिले में कुछ ऐसे गांवों भी हैं जहां बड़े समूह के तौर पर शिल्प का कार्य किया जा रहा है। क्राफ्ट विलेज के तौर पर चयनित किए गए इन गांवों के शिल्पियों की भी मदद और मार्गदर्शन किया जाएगा। उपायुक्त ने कहा कि न केवल चंबयाल परियोजना बल्कि राज्य सरकार द्वारा चलाई गई महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना और अन्य योजनाओं के तहत शिल्पकार बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए मशीनरी खरीदने में इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। इन योजनाओं में सब्सिडी का भी बाकायदा प्रावधान किया गया है। बैठक शुरू होने से पूर्व अतिरिक्त उपायुक्त मुकेश रेपसवाल ने चंबयाल परियोजना के मुख्य बिंदुओं को साझा किया। बैठक के दौरान उपायुक्त ने सभी शिल्पकारों की समस्याएं और सुझाव भी जाने। बैठक में भूरी सिंह संग्रहालय के कार्यवाहक संग्रहालयाध्यक्ष सुरेंद्र ठाकुर और पारम्परिक क्राफ्ट के संरक्षक को लेकर कई राज्यों में चली मुहिम से जुड़े मनुज शर्मा के अलावा अन्य शिल्पकार मौजूद रहे।