उपायुक्त चम्बा की बेटियों ने भूखें कुत्तों को खाना खिलाया
चम्बा, 5 जून (विनोद): अक्सर बड़े घरों के बच्चे अपने जन्म दिन को बडे स्तर पर बड़े-बडे़ होटलों में मनाते है लेकिन शुक्रवार को ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने हर किसी का दिल जीत लिया। एक छोटी सी बच्ची ने इस काम को अंजाम देकर समाज को एक सकारात्मक संदेश देने का काम किया है।
12 वर्ष की बेटी ने किया यह काम
एक 12 वर्षीय बच्ची ने बेजुवानों के भूख के दर्द को इस कदर महसूस किया कि उसने अपना जन्म दिन भूखे कुत्तों को खाना खिलाकर मनाया। यहां हम बात कर रहें हैं चम्बा के उपायुक्त डी.सी.राणा के बड़ी बेटी मुस्कान की। उसने अपनी बहन व पिता के साथ अपने जन्म दिन को ऐतिहासिक चम्बा चौगान में मौजूद भूखें कुत्तों को खाना खिलाकर मनाया।
दुकानों व ढाबों पर दोपहर के 2 बजते ही ताले लग जाते हैं। ऐसे में इन बेजुवान जानवरों को पेट भरने के लिए एक-दूसरे के साथ भिड़ने पड़ता है। एक निवाले के लिए वे एक-दूसरे को बुरी तरह से नौच देते है। यही वजह है कि इन दिनों शहर के कई आवारा कुत्तों को जख्मी हालत में देखा जा रहा है।
उपायुक्त चम्बा डी.सी.राणा को अपनी इस नन्हीं बेटी के फैसले पर नाज है। उनका कहना है कि मुस्कान का चेरिटी की तरफ ध्यान है इसी के चलते वह ऐसे कामों को करने में रूचि रखती है जिससे किसी का भला हो। इसी के चलते उसने अपने जन्म दिन पर कुत्तों का खाना खिलाने की इच्छा जताई। अपनी बेटी के इस काम में इस आई.ए.एस. पिता ने भी साथ दिया तो साथ ही मुस्कान की छोटी बहन महक जो कि अभी सिर्फ 10 वर्ष के करीब है ने भी पूरा सहयोग किया।
चेरिटी के साथ-साथ मुस्कान को जानवरों के प्रति भी आकर्षण है। वह अपने हर जन्म दिन पर ऐसा कोई न कोई काम करती है जो कि सब का मनमोह लेता है। इस मौके पर मौजूद लेागों को जब इस बारे में पता चला तो हर कोई इस बेटी के काम की सराहना करने के साथ-साथ उसे दुआएं भी दे रहें थे। ऐसा बेहद कम ही देखने को मिलता है जब कोई बच्चा अपने जन्म दिन पर इस प्रकार की संजिदगी बेजुवानों के प्रति दिखाता है।
शुक्रवार को जो दृश्य चम्बा चौगान में देखने को मिला वे अपने आप में हमें कई संदेश दे गया। हमें न सिर्फ जानवरों के प्रति दया दिखानी चाहिए बल्कि कोविड के इस दौर में जब इस प्रकार के जानवरों को हमारी जरुरत है तो हमें उन्हें खाना खिलाना चाहिए क्योंकि कोविड कर्फ्यू की वजह से बाजारों के बंद रहने के चलते आवारा व बेसहारा जानवर भूखें हैं।
इस बेटी का यह कार्य हम सब को यह प्रेरणा भी देता है कि हम सिर्फ खुद या फिर अपने परिवार तक ही अपने को सीमित न रहें बल्कि उन बेजुवानों की तरफ भी ध्यान दे जो अपना पेट भरने के लिए हम पर आश्रित हैं। इसमें कोई दोराय नहीं है कि अगर हम इंसान होते हुए इस प्रकार के काम से चुराने लगेंगे तो फिर इंसान कहलाने का क्या हमारे पास हक रह जाता है।