छठे वेतन आयोग को पंजाब की तर्ज पर हिमाचल लागू न करे

प्राथमिक शिक्षक संघ शिक्षा खंड सिहुंता ने वर्चुअल बैठक कर सरकार से मांग की

वेतन आयोग के साथ क्लस्टर निर्माण हेतु प्राथमिक पाठशालाओं काे शामिल करने का विरोध किया

सिहुंता, 29 जून (इशपाक): पंजाब सरकार द्वारा छठा वेतन आयोग के अंतर्गत कर्मचारियों को जो आर्थिक लाभ दिया है उससे वास्तव में कर्मचारियों को आर्थिक नुक्सान हुआ है। ऐसे में हिमाचल सरकार पंजाब का हरगिज अनुसार न करे। ऐसी व्यवस्था के लागू होने से प्रत्येक कर्मचारी-अधिकारी वर्ग बुरी तरह से प्रभावित होगा। प्राथमिक शिक्षक संघ शिक्षा खंड सिहुंता ने वर्चुयल बैठक करते हुए यह बात कही।
संघ इकाई के योगराज शर्मा ने कहा कि गोष्ठी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं के अधीन क्लस्टर निर्माण हेतु प्राथमिक पाठशालाओं को शामिल करने का विरोध किया गया।
उन्होंने कहा कि शिक्षा खंड सिहुंता की बात करे तो वर्तमान में इसके दायरे में 87 प्राथमिक पाठशालाएं आती है जिनके 18 क्लस्टर बनाए गए हैं। प्रत्येक क्लस्टर के अंतर्गत चार से लेकर सात पाठशालाएं आती हैं और क्लस्टर की देखरेख और जवाबदेही केंद्रीय मुख्य शिक्षकों के अधीन होती है। सभी क्लस्टर खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी के अधीन कार्य करते है। यही व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू है।
लंबे संघर्ष के बाद उच्चतर शिक्षा निदेशालय से अलग करके प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय अस्तित्व में आया। पहले सारी व्यवस्था और प्राथमिक शिक्षक उच्चतर शिक्षा निदेशालय के अधीन ही कार्य करते थे। संगठन का मानना है कि अब पुरानी व्यवस्था को फिर दोबारा लागू करने से प्राथमिक शिक्षकों और प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय का औचित्य और अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा और प्राथमिक शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया भी प्रभावित होगी।
खंड इकाई अध्यक्ष ने कहा कि संगठन का मानना है कि विभाग को प्रारंभिक स्तर पर आधारभूत ढांचे को और सुदृढ़ करना चाहिए जिससे कि संसाधनों में वृद्धि हो सके और बच्चों को शिक्षा के लिए अच्छा और स्वस्थ वातावरण प्राप्त हो।
जहां तक उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इस कार्य से संसाधनों में वृद्धि की बात की गई है तो यह सरासर गलत है क्योंकि प्राथमिक स्तर पर क्लस्टर लगभग 2 से 3 किलोमीटर के दायरे में आते हैं परंतु वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के अधीन क्लस्टर बनाने से यह दूरी 7 से 10 किलोमीटर के बीच होगी जिससे सामंजस्य स्थापित करने में भी दिक्कत आएगी और संसाधनों का भी पूर्ण रूप से लाभ प्राप्त नहीं हो सकेगा।
ऐसे में यह अध्यापक संघ सरकार और शिक्षा विभाग से निवेदन करता है कि प्राथमिक शिक्षकों की उपरोक्त समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कलस्टर निर्माण से प्राथमिक पाठशालाओं को अलग रखा जाए और संगठन के पदाधिकारियों को विश्वास में लेकर ही आगामी व्यवस्था बनाई जाए।
ऐसा न होने की स्थिति में विभाग को राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हिमाचल प्रदेश जो कि राज्य का सबसे बड़ा शिक्षक कर्मचारी संगठन है के अंतर्गत आने वाले लगभग 25 हजार प्राथमिक शिक्षकों का विरोध सहन करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
पंजाब द्वारा लागू किए गए छठा वेतन आयोग को लेकर संघ का कहना है कि पंजाब का कर्मचारी वर्ग सरकार के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलित है। उक्त राज्य के कर्मचारियों व अधिकारियों के इस आंदोलन का हिमाचल के कई कर्मचारी व अधिकारी संगठन समर्थन कर रहें है।
उन्होंने कहा कि संघ का मानना है कि वेतन आयोग जब भी लागू होता है तो उससे कर्मचारी वर्ग को आर्थिक लाभ दिया जाता है लेकिन पंजाब सरकार ने इस बार तो वेतन आयोग लागू किया है उससे वहां के कर्मचारी व अधिकारी वर्ग को आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ेगा। यहां तक की यह नया वेतन आयोग कर्मचारियों से रिकवरी करवाने का काम करेगा।
ऐसे में गोष्ठी में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पहले पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों के छठें वेतन आयोग को लेकर क्या अंतिम निर्णय लेती है उसको देखते हुए ही आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह संघ इकाई हिमाचल सरकार से यह आग्रह करती है कि वह पंजाब की तर्ज पर हिमाचल में इस वेतन आयोग का लागू न करे।
बैठक में खंड अध्यक्ष योगराज शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेंद्र धीमान, महासचिव जगदीश चंद, कोषाध्यक्ष पुष्पा कुमारी, राज्य प्रतिनिधि सुमिंदर कुमार, राज्य महिला विंग सदस्य मंजू बाला सहित समस्त कार्यकारिणी सदस्यों सहित 30 अध्यापकों ने भाग लिया।

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