चंबा डिपों के चालक-परिचालक धरना-प्रदर्शन पर बैठे

अवैध कटान करते पकड़ा तो कुल्हाड़ी से वनरक्षक पर हमला किया

चालक-परिचालकों ने कहा सरकार व प्रबंधन उनकी मांगें पूरी करें

चंबा, 24 जुलाई (विनोद): प्रदेश यूनियन के आह्वान पर शनिवार दोपहर बाद चंबा डिपो में तैनात एचआरटीसी के कर्मचारियों, चालक व परिचालकों ने मुख्य बस अड्डे पर धरना प्रदर्शन किया। इस वजह से निगम की परिवहन सेवा बुरी तरह से प्रभावित हुई। इसकी वजह पिछले कल एक कर्मचारी का तबादला करने के साथ लंबे समय से इस कर्मचारी वर्ग की मांगों का लंबित होना रही।
एचआरटीसी के चालकों व परिचालकों के धरना प्रदर्शन के चलते बस अड्डे के बार लगा जाम। फोटो चंबा की आवाज

एचआरटीसी के चालकों व परिचालकों के धरना प्रदर्शन के चलते बस अड्डे के बार लगा जाम।                          फोटो चंबा की आवाज

इस धरना-प्रदर्शन के कारण लोगों को विशेषकर लंबे रूटों पर जाने वाली सवारियों को भारी मानसिक व आर्थिक परेशानी उठानी पड़ी। उधर हड़ताली कर्मचारियों का कहना था कि सरकार व उनका प्रबंधन इस कर्मचारी वर्ग की सुनने को तैयार नहीं है जिस वजह से न चाहते हुए भी उन्हें यह कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
उन्होंने साफ किया कि जब तक शिमला इकाई से उन्हें इस हड़ताल व धरना प्रदर्शन को लेकर आगामी आदेश प्राप्त नहीं होते हैं तब तक वह इससे पीछे नहीं हटने वाले है। इस मौके पर इन कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की।
धरना-प्रदर्शन पर बैठे एचआरटीसी के कर्मचारियों से सदर धाना प्रभारी शकीनी कपूर बातचीत करते हुए। फोटो चंबा की आवाज

धरना-प्रदर्शन पर बैठे एचआरटीसी के कर्मचारियों से सदर धाना प्रभारी शकीनी कपूर बातचीत करते हुए।               फोटो चंबा की आवाज

उधर इस धरना प्रदर्शन की वजह से एचआरटीसी डिपो चंबा के 42 बस रूटों पर बसें नहीं दौड़ी जिसमें लंबी दूरी वाले रूट भी शामिल रहें। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सदर पुलिस थाना प्रभारी चंबा शकीनी कपूर मौके पर पहुंचे और उन्होंने धरने-प्रदर्शन पर बैठे इन कर्मचारियों से बातचीत करते हुए उन्होंने शांत करने का प्रयास किया लेकिन यह कर्मचारी इस बात पर अड़े रहे कि यह धरना प्रदर्शन तब तक समाप्त नहीं होगा जब तक सरकार व प्रबंधन उनकी मांगों को पूरा नहीं करता है।
इस मौके पर कुछ लोगों ने भी इन हड़ताली कर्मचारियों को मनाने का प्रयास किया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। एक तरफ अपने हकों को पाने के लिए निगम का यह कर्मचारी वर्ग आंदोलन की राह पकड़ने के लिए मजबूर है तो दूसरी तरफ निगम की बसों पर सफर करने वाली आम जनता इसकी वजह से परेशान है।
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ऐसी स्थिति में किस बात के लिए कौन जिम्मेवार है इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है लेकिन इतना जरुर है कि सरकार व निगम प्रबंधन को इस पर शीघ्र अपनी गंभीरता दिखानी होगी ताकि कर्मचारियों के इस गुस्से से जनता को अधिक परेशानी का सामना न करना पड़े।