पूर्व भाजपा सरकार ने 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज छोड़ा, प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं-मुख्यमंत्री

शिमला, ( ब्यूरो ): हिमाचल की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है क्योंकि पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा विरासत में छोड़े गए 75 हजार करोड़ रुपये के कर्ज तथा वर्तमान सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने पर केंद्र सरकार की ओर से लगाए गए वित्तीय प्रतिबंधों के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है, इसके बावजूद राज्य सरकार सक्रिय रूप से संसाधन जुटाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में यह बात कही।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए कई कदम उठाए हैंं। इनमें उन केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की विद्युत परियोजनाओं में बड़ी हिस्सेदारी की मांग करना शामिल है, जिन्होंने अपनी लागत वसूल कर ली है। इसके अलावा, सरकार को शराब की दुकानों की नीलामी से 40 प्रतिशत अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ है।

 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद विकास की गति को बनाए रखने के लिए प्रयासरत है। राज्य सरकार संसाधनों को बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि धन की कमी राज्य की प्रगति में बाधा न बने।

 

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के लिए बाहरी सहायता प्राप्त एजेंसियों के माध्यम से सहायता के नए प्रस्तावों पर अधिकतम सीमा निर्धारित की है। यह प्रतिबंध 2023-24 से 2025-26 तक तीन वर्षों के लिए लागू रहेगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 की समाप्ति तक हिमाचल प्रदेश भारत सरकार से मात्र 2,944 करोड़ रुपये के प्रस्तावों की स्वीकृति के लिए पात्र होगा। 

 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के निर्णय से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए उधार सीमा से 1,779 करोड रुपये की कटौती की गई है। इसके अतिरिक्त, खुले बाजार से उधार लेने की सीमा को गत वर्ष की तुलना में लगभग 5,500 करोड़ रुपये कम कर दिया गया है। दिसंबर 2023 तक प्रदेश सरकार को 4,259 करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति मिली है, साथ ही प्रदेश को लगभग 8,500 करोड़ रुपये के लिए अतिरिक्त अनुमति प्राप्त होने की भी उम्मीद है।

 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार संसाधन जुटाने पर विशेष बल दे रही है। राज्य सरकार का लक्ष्य उधार पर निर्भरता कम करना और राज्य को आत्मनिर्भर बनाना है। सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने को कई ठोस कदम उठाए हैं और समाज के सभी वर्गों के सहयोग से प्रदेश सरकार का लक्ष्य अगले दस वर्षों के भीतर हिमाचल प्रदेश को देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाना है।

 

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