विकास के दुश्मनों ने शिलान्यास पट्टिका तोड़ी

पट्टिका के तोड़ने के मामले पर लोगों ने नाराजगी जताई

चंबा, 30 सितंबर (विनोद): विकास के दुश्मनों ने एक बार फिर से अपनी सक्रियता का जिला चंबा में आभास कर दिया है। इस बार उन्होंने जिला के विकासखंड मैहला के दायरे में आने वाली दाड़वी पंचायत व उसके साथ लगती दूसरी पंचायत को शिकार बनाया है।

लोगों को जान हथेली पर लेकर पार करनी पड़ती है रावी

शरारती तत्वों ने विकासखंड मैहला के दायरे में आने वाली एक ग्राम पंचायत के लोगों को अपने रोजमर्रा के कार्यों को अंजाम देने के लिए हर दिन अपनी जान को खतरे में डालते हुए रावी नदी को पार करना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि यह पंचायत रावी नदी के दूसरी छोर पर है जिसे सड़क सुविधा के साथ जोड़ने के लिए रावी नदी पर पुल का निर्माण होना बेहद लाजमी है।
विकास के दुश्मनों ने शिलान्यास पट्टिका तोड़ी

पुल नहीं होने की वजह से जान हथेली पर लेकर रावी नदी को पार करते लोग।

स्थानीय लोगों की इस परेशानी और उनके जीवन पर मंडराने वाले खतरे को भांपते हुए हाल ही में इस पुल के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया लेकिन विकास के दुश्मनों ने इस शिलान्यास पट्टी को तोड़ दिया है। इस प्रकार के कार्यों को अंजाम देने वाले लोगों की मानसिकता का यह पता चलता है कि वे विकास प्रिय नहीं है।

विकास के निशान को तोड़ने से स्थानीय लोगों में गुस्सा

लोगों को जैसे ही इस बारे में पता चला तो उन्हें इस कार्य को अंजाम देने वाले की कड़ी आलोचना की। लोगों का कहना है कि भले इस अनुचित कार्य को भले किसी भी भावना से ग्रस्त होकर अंजाम दिया गया हो लेकिन ऐसे लोगों का पुलिस को पता लगाकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूर करनी चाहिए।
पुल के निर्माण को लेकर किए गए शिलान्यास की तोड़ी गई पट्टिका

विकास के साथ मैहला की पंचायत को जोड़ने के बनाए जाने वाले पुल की शिलापट्टी टूटी पड़ी।

उनका यह भी कहना है कि इस निंदा जनक कार्य को अंजाम देने वाले ने शायद विकास प्रभावित करने का प्रयास किया हो लेकिन एक बात तो जगजाहिर है कि स्थानीय लोग यह भलीभांति जानते है कि किसके प्रयासों से अब उन्हें यह सुविधा मिलने की उम्मीद जगी है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि समय-समय पर इस प्रकार की अप्रिय हरकतों को कुछ शरारती तत्व अंजाम देते रहते हैं।
जिससे जनता के पैसे खर्च कर लगाई गई शिलान्यास पट्टिका को नुकसान पहुँचाकर सही मायने में जनता के पैसे का नुकसान किया जाता है। ऐसे शरारती तत्वों का इसके पीछे कोई न कोई निजी स्वार्थ अवश्य छिपा होता है। दूसरी तरफ लोगों की माने तो उन्हें नहीं लगता है कि यह निंदा जनक कार्य उनके क्षेत्र के विकास को रोक पाएगा।  
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