विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ हंसराज ने यह शगुफा छोड़ा

अपनी बेबाकी की वजह से कई बार सुर्खियों व विवादों का केंद्र बने

चंबा, (विनोद): विवादों व सुर्खियों का विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज के साथ चोली दामन का साथ है। हाल ही में अपनी ही पार्टी के टिकट आबंटन मामले को लेकर हंसराज ने जो ब्यान दिया था उससे वह चर्चाओं में आ गए थे तो अब उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की बात कही है।
यह बात अलग है कि संन्यास लेने से पूर्व उन्होंने चुराह की जनता से एक बार फिर से अगले पांच वर्ष मांगे है। यह पहला मौका है जब चुराह विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. हंसराज ने इस तरह की बात कही है।
दो बार प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहुंचे डा. हंसराज ने अब पांच और वर्ष चुराह की जनता से मांगे है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि डॉ हंसराज अपने बयानों को लेकर अक्सर विवादों व चर्चाओं में बने रहते है।
पिछली बार उन्होंने विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के लिए अपनी सीट छोड़ने की बात कह कर अपना धूमल स्नेह दिखाकर पार्टी के एक धड़े को अपने खिलाफ कर लिया था। पार्टी के संगठन प्रिय जय सिंह के प्रति भी अपना प्रेम समय-समय पर अपने ब्यानों के माध्यम से जगजाहिर किया।
एक मामला तो अभी तक ठंडा नहीं हुआ है। प्रदेश के एक जिला में जनमंच में सुनवाई के दौरान सार्वजनिक रूप से एक सरकारी अधिकारी-कर्मचारी के प्रति उनके रवैये ने भी सोशल मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थी।
यही नहीं इसी वर्ष जुलाई माह में वीरभद्र सिंह के देहांत के बाद दिए ब्यान को लेकर भी वह विवादों का केंद्र बने थे। हाल ही में पार्टी को चुनाव में मिली करारी हार के लिए टिकट आबंटन पर भी उन्होंने बेबाकी के साथ अपनी बात कही थी।
वर्ष 2018 में जिला चंबा के एक प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी उन्होंने मोर्चा खोला था। बाद में मुख्यमंत्री जयराम के हस्तक्षेप के बाद इस मामले पर विराम लगा था। यही नहीं इसी वर्ष अक्तूबर माह में अपने मंत्री पद को लेकर भी उन्होंने इशारों-इशारों में बड़ी बात कही थी। अपनी ही पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की कार्यशैली को उन्होंने अपने विवादास्पद ब्यान के माध्यम से उक्त दिवंगत नेता के समर्थकों की नाराजगी मोल ले ली थी।

कुल मिलाकर देखा जाए तो डॉ हंसराज ने अपने अब तक के 9 वर्ष के चुराह विधायक के कार्यकाल में अपने मन की बात को जगजाहिर करने में कभी संकोच नहीं किया। शायद यही वजह है कि वह अपनी ही पार्टी व संगठन के कुछ नेताओं व पदाधिकारियों को एक आंख नहीं भाते हैं।
उन सब की परवाह किए बगैर डॉ हंसराज अपनी बेबाकी के साथ अपने राजनैतिक मार्ग पर बढ़ते चले जा रहे हैं। निसंदेह यह उनकी राजनीतिक कुशलता के साथ-साथ चर्चाओं का केंद्र बने रहने में उनकी निपुणता को भी प्रमाणित करता है।
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