चंबा, ( विनोद ): चंबा की रावी दूषित करने वालों पर कार्रवाई करे पुलिस। DC चंबा ने बुधवार को चंबा में आयोजित जिला पर्यावरण प्रबंधन योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह आदेश दिए। अपने आप में यह पहला मौका है जब जिला प्रशासन ने इस मामले पर इस तरह से अपना कड़ा रुख दिखाया है।
गौरतलब है कि चंबा शहर से हर दिन निकलने वाले कूडे़ को वैज्ञानिक ढंग से ठिकाने लगाने का जिम्मा नगर परिषद चंबा ने ठेकेदार का सौंप रखा है लेकिन यह कूड़ा-कचरा कैसे ठिकाने लगाया जाता है। इस बात को सभी बखूबी जानते है। अधिक पैसे कमाने के चक्कर में शहर के आसपास के नाले भी कचरे से भर गए है। इन तमाम बातों को ध्यान में रख कर बुधवार को उपायुक्त चंबा डीसी राणा ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए नगर परिषद के ठेकेदार द्वारा कूड़े-कचरे को रावी नदी एवं सहायक नालों में गिराए जाने पर संज्ञान लेते हुए जिला पुलिस को जल संरक्षण अधिनियम ( water conservation act ) के तहत कार्रवाई करने को निर्देशित किया।
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इसमें कोई दोराय नहीं है कि जिस तरह से रावी नदी में कूड़ा-कर्कट फेंका जा रहा है उससे रावी दूषित हो रही है। रावी को दूषित होने से रोका नहीं गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकता है। आए दिन ऐसे मामले सुर्खियों में भी बनते रहते हैं लेकिन हर बार इस मामले का परिणाम ढाक के तीन पात ही रहा है। पहली बार जिला प्रशासन का यह रुख लोगों में नई उम्मीद पैदा का काम करेगा।
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बैठक में डीसी राणा ने नगर परिषद चंबा के अधिकार क्षेत्र में व्यर्थ पदार्थों का उचित निपटारा सुनिश्चित बनाने के लिए चंबा शहर के साथ लगते भगोत क्षेत्र में मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी स्थापित करने को लेकर भी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से लोगों को काफी राहत मिलेगी।
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देखना होगा कि उपायुक्त चंबा के आदेशों का संबंधित ठेकेदार पर क्या असर पड़ता है तो साथ ही पुलिस भी इन आदेशों पर कितनी गंभीरता दिखाती है। नगर परिषद चंबा की बात करे तो वह चंबा शहर से हर दिन निकले वाले कूड़ा-कर्कट को ठिकाने लगाने के लिए ठेकेदार को हर माह भारी भरकम राशि का भुगतान करती है लेकिन अफसोस की बात है कि वह ठेकेदार की इस मामले पर जवाबदेही तक करना जरुरी नहीं समझती है। शायद यही वजह है कि अब उपायुक्त चंबा को इस पर कड़ा संज्ञान लेना पड़ा।