Bharmour Jaatar New : भरमौर जातर मेला धूमधाम से शुरू हो गया। भरमौर चौरासी मंदिर परिसर में मौजूद प्राचीन विशालकाय देवदार का वृक्ष 11 रुद्र कहा जाता है की सबसे ऊपरी चोटी पर ध्वज फहराया गया। इस मौके पर चौरासी मंदिर में पुजारी व पूर्व भरमौर विधायक जिया लाल कपूर सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
चंबा, ( विनोद ) : प्राचीन काल से भरमौर चौरासी प्रांगण में यह 11 दिवसीय जातर मेला हर वर्ष जन्माष्टमी के दूसरे दिन को शुरू होता है। प्रत्येक दिन चौरासी मंदिर में मौजूद प्रमुख देवता को एक जातर समर्पित होती है। मंगलवार को भरमौर में मौजूद विश्व के एकमात्र धर्मराज मंदिर से जलेव की शकल में चौरासी में मौजूद प्रमुख मंदिरों में नये वस्त्र चढ़ाने के लिए शोभायात्रा(procession) निकाली।
प्राचीन लोक वाद्य यंत्रों की अगुवाई में यह जलेव विभिन्न मंदिरों से होती हुई मणिमहेश मंत्री पहुंची। वहां देवदार के प्राचीन विशालकाय पेड़ की सबसे ऊंची चोटी पर शिव व हनुमान का झंडा लगाने की परंपरा का मणिमहेश के जयकारों के बीच निर्वहन किया गया। इस धार्मिक परंपरा के साक्षी सैकड़ों लोग बने। इसके प्रक्रिया के पूरा होने के साथ ही भरमौर का ऐतिहासिक जातर मेला विधिवत रूप से शुरू हो गया।
इस जातर मेला बारे जानकारी देते हुए भरमौर नरसिंह मंदिर के पुजारी पुरुषोत्तम शर्मा व धर्मराज मंदिर के पुजारी लच्छा राम ने बताया कि यह जातर मेला सदियों से मनाया जा रहा है। इसके माध्यम से चौरासी मंदिर परिसर में मौजूद प्रत्येक प्रमुख देवताओं का इस जातर मेला का हर दिन समर्पित रहता है। उन्होंने कहा कि इस जातर मेला का पूरी तरह से स्थानीय लोगों व पंचायत द्वारा आयोजन किया जाता है।
भरमौर के लोगों को इस मेले का बेसब्री के साथ इंतजार रहता है क्योंकि इस मेले के दौरान पूरा भरमौर भक्ति रस में डूबा रहता है तो साथ ही इसमें माध्यम से प्राचीन गद्दी संस्कृति को देखने का भी मौका मिलता है। इस जातर मेला की वजह से अब अगले कुछ दिनों तक भरमौरी चौरासी मंदिर परिसर में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम आयोजित होंगे।
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पूर्व विधायक ने शुभकामनाएं दीं
पूर्व भरमौर विधायक जिया लाल कपूर(Jiya Lal Kapoor) ने इस मौके पर भरमौर की जनता को इस जातर मेला की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भरमौर पंचायत हर वर्ष इस जातर मेले का बखूबी आयोजन करती है और इस मेले के माध्यम से भरमौर की प्राचीन लोक संस्कृति(folk culture) से पूरी दुनिया व नई पीढ़ी को रूबरू होने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल देव भूमि है और यहां के देवी-देवताओं के प्रति प्रत्येक हिमाचलवासी का अगाध विश्वास व आस्था है।
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