सीमेंट के बने बैड पर खराब गद्दों पर सोने को मजबूर बच्चे
चंबा, (विनोद): प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में जिला चंबा में जवाहर नवोदय विद्यालय की व्यवस्था की पोल खुलकर सामने आ गई। अपने आप में यह पहला मौका रहा जब उच्च पद पर आसीन नेता ने इस केंद्रीय स्कूल का दौरा किया।
इस दौरे के माध्यम से जो भी कमियों देखने को मिली उन्हें विस उपाध्यक्ष डा. हंसराज ने जिला प्रशासन व स्कूल प्रबंधन को एक सप्ताह के भीतर सुधार करने के निर्देश दिए। रावी नदी से चंद मीटर की दूरी पर मौजूद इस स्कूल व इसके होस्टलों की हालत का यह आलम है कि यहां की खिड़कियों के टूटे हुए शीशों से सीधे बच्चों के कमरों तक कपकपा देने वाली हवा बिना किसी रोकटोक के पहुंच कर रही है।
सर्दियों के इस मौसम में जहां ठंडे पानी की बंदू हलक से नीचे नहीं उतरती है इस स्थिति में इस केंद्रीय स्कूल में बच्चों को नहाने या फिर मुंह धोने के लिए गर्म पानी तक की सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई है।बच्चों को ठंड से राहत पाने के लिए हीटर या फिर अलाव वगैरा की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
इन सब खामियों के बारे में प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष डा. हंसराज के बारे में इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहें बच्चों के अभिभावकों द्वारा शिकायतें की गई थी। इन पर कड़ा संज्ञान लेते हुए विधानसभा उपाध्यक्ष ने सोमवार को इस स्कूल और इसमें पढ़ने वाले बच्चों के लिए रहने हेतू की गई व्यवस्था का जायजा लिया।
विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ हंसराज की अध्यक्षता में जवाहर नवोदय विद्यालय सरोल के स्थानीय विद्यालय प्रबंधन और स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के अभिभावकों के बीच बैठक भी आयोजित की गई। विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने बताया कि चिंता की बात है कि इस स्कूल के होस्टलों में बच्चों को सोने के लिए जो गद्दे उपलबध हैं उनकी हालत भी बेहद खस्ता है। यही नहीं यहां बच्चों को सोने के लिए सीमेंट के बैड बनाए गए है।
डा. हंसराज ने कहा कि यह अपने आप में चिंताजनक बात है कि अभी तक इस पुरानी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं किया गया है। ऐसे में जिला प्रशासन, स्कूल प्रबंधन को यह निर्देश दिए गए हैं कि इस पुरानी व्यवस्था में जल्द सुधार लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस केंद्रीय विद्यालय में जिला चंबा के वह मेधावी बच्चें पढ़ते हैं जो कि अपने परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से निजी स्कूलों में शिक्षा पाने से वंचित है।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि यहां की शिक्षा व्यवस्था किसी भी निजी शिक्षण संस्थान से बेहतर है लेकिन अफसोस की बात है कि यहां की रहने के साथ-साथ अन्य वे सुविधाएं जो यहां के बच्चों को मिलनी चाहिए वे उन्हें उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि आज विद्यालय प्रबंधन व बच्चों के अभिभावकों के साथ आयोजित हुई बैठक में इस पुरानी व्यवस्था में जल्द सुधार करने के निर्देश दिए गए।
डा. हंसराज ने कहा कि 80 के दशक में खुले इस केंद्रीय स्कूल को अब तक अपना खेल का मैदान नसीब नहीं हुआ है तो साथ ही स्कूल की चार दिवारी भी नहीं हुई है। इन सब कार्यों को जल्द शुरू करने की दिशा में भी निर्देश दिए गए है। जल्द ही इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को खेल मैदान की सुविधा भी मुहैया करवा दी जाएगी।