चंबा, (विनोद कुमार): क्यों खामोश रही EBM विधानसभा क्षेत्र के दायरे में आने वाले 4 पोलिंग बूथ पर। यह सवाल रह-रह कर लोगों की जुबान पर आ रहा था। इसकी वजह यह है कि इन बूथों पर एक भी वोट नहीं डला। ऐसा करने के लिए यहां के लोगों को क्यों मजबूर होना पड़ा। इस सवाल का हर कोई जबाव जानना चाहता था। दूसरी तरफ दो मतदान केंद्रों में महज 9 मत डले है। बताया जाता है कि यह मत कर्मचारियों के हैं।
लोकतंत्र में जहां मताधिकार को सबसे बड़ा अधिकार माना जाता है। परंतु अपने क्षेत्र की अनदेखी को लेकर मंडी संसदीय क्षेत्र के दायरे में आने वाले इस विधानसभा क्षेत्र के 6 मतदान बूथों के 1251 मतदाताताओं ने अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करने में कोई रूचि नहीं दिखाई।
लोकतंत्र की दृष्टि से यह बात सही नहीं है। पर जिन क्षेत्र के लोगों को मूलभूत सुविधाओं को पाने के लिए बार-बार गुहार लगाने के बाद भी वे प्राप्त नहीं हुई। शायद यही वजह है कि दूसरा कोई विकल्प नजर नहीं आने के चलते इस बार के संसदीय उपचुनाव में ऐसा किया है।
कलमला के लोग अपने चुनाव बहिष्कार के बारे में जानकारी देते
आंकड़ों की बात करे तो इस उपचुनाव का वहिष्कार करने वाले 1251 मतदाताओं में 649 पुरूष मतदाता है तो महिला मतदाताओं की संख्या 602 है। भरमौर विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो यहां शनिवार को मंडी संसदीय उपचुनाव के लिए आयोजित हुई मतदान प्रक्रिया के तहत कुल 50.61 प्रतिशत ही मतदान हुआ है।
सत्ताधारी कम मतदान को शुभ मान रहें
कम मतदान भले लोकतंत्र के पक्षधरों के लिए चिंता का कारण बने लेकिन सत्ताधारी दल की बात करे तो वह इस अपने लिए शुभ मान रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब भी मतदान अधिक होता है तो उसे सत्ता के खिलाफ माना जाता है और ऐसा कई बार साबित भी हो चुका है।
पूर्व के इन अनुभवों को आधार माने तो यह साफ होता है कि प्रदेश के भाजपा सरकार इस कम मतदान को शुभ संकेत माने लेकिन इतना तो साफ हो गया है कि पिछले लोकसभा चुनाव के करिश्में को शायद ही वह दोहराने में सफल हो पाए।
इन पोलिंग बूथ पर होता रहा मतदाताओं का इंतजार
जिन मतदान केंद्रों में दिन भर ईवीएम मशीनें खामोश रही उनमें भरमौर विधानसभा क्षेत्र के 4 मतदान केंद्र है। इन मतदान केंद्रों में एलमी, कलाह, कलमला, जगत-2 व कलमला में कोई भी वोट नहीं डला। जिन दो मतदान केंद्रों में नाममात्र मतदान हुआ है उसमें कलोंस में 5 व बिलमुई में 4 वोट डले है।
सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक इन पोलिंग बूथ में तैनात मतदान पार्टियां मतदाताओं के आने का इंतजार करती रहीं लेकिन मायूसी ही मिली। कलमला मतदान केंद्र की बात करे तो यहां के पंचायत प्रतिनिधियों व स्थानीय लोगों ने इस बहिष्कार का आधार अपने क्षेत्र में सड़क व स्वास्थ्य सुविधा को न होना बताया।
लोगों का कहना था कि बीते 70 वर्षों से वे इन मांगों को लेकर दर-दर माथा रगड़ा लेकिन अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं है। जब भी वे किसी के आगे अपनी गुहार लगाते हैं तो उन्हें आश्वासन ही मिलता है। उधर पुलिस दल ने इस पोलिंग स्टेशन पर पहुंच कर यहां के पंचायत प्रतिनिधियों सहित स्थानीय लोगों के ब्यान दर्ज किए। पुलिस ने इस बहिष्कार के कारणों के बारे में जानकारी हासिल की।
निसन्देह इस प्रकार से मतदान का बहिष्कार होने से प्रशासन द्वारा मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के प्रयासों को गहरा धक्का लगता है, लेकिन अपनी बात को प्रभावी ढंग से उठाने के लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं होने पर ही कलमला के लोगों ने यह रास्ता उठाया है।
लोगों की इसे जागरूकता कहें या फिर उनका यह गलत निर्णय लेकिन इतना जरुर है कि चंद माह बाद प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने है। अब भी क्षेत्र के विकास पुरूषों ने जनसमस्याओं के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई तो कोई हैरानी नहीं होगी जब इसी प्रकार के दृश्य अगले वर्ष विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिले।
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त चंबा डीसी राणा ने कहा कि भरमौर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदान 50.61 दर्ज हुआ है। इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाओं की संख्या 75077 है जिसमें से 37 हजार 995 मतदाताओं ने अपने मतदाधिकार का प्रयोग किया है। भरमौर विधानसभा क्षेत्र में यह मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न हुई है।